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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि सुमन्त भद्र गुणभद्र गुणीश्वर, प्रवीण मुनि प्रशिष्य मुनीश्वर । इनको संयम मार्ग बताकर, तप आराधन - ज्योति जलाकर । । ज्ञान-ध्यान, दर्शन-धन जिनको, दिल से किया प्रदान.... जय जय ..... वाणी आपकी जन हितकारी, सुनते हैं सब नर और नारी आप बड़े ही पर उपकारी, पार लगादो नाव हमारी । । सच्चा पथ दिखलाया हमको, देकर संयम - दान.... जय-जय लय: देख तेरे संसार की हालत मुनि सुमन्तभद्र 'साधक' युग-युग जिओ गुरुवर गुरुवर हो गुरुवर, तूं है महा ज्ञानीवर, हो....मेरा मोह छुड़ाके, मेरा मान मिटाके, तुमने दिखलाई मुक्ति डगर ... गुरुवर हो.... て गुरु सुमनमुनि जी, जग में है सबसे निराले, सलाहकार मंत्री, श्रमण संघ के प्यारे । हो.... तेरे गुण हम गाए, नित शीष झुकाए । तेरे चरणों में आए गुरुवर... गुरुवर हो.... भींवराज पिताश्री पांचुं ग्राम निवासी । श्री वीरांदे माता, चौधरी वंश सुज्ञाती । । हो... तेरा गौत्र गोदारा, तू कूल उजियारा मरुभूमि का प्यारा गुरुवर... गुरुवर हो... बचपन में ही तूने लिया गुरुजी का सहारा, महेन्द्र गुरु से पावन संयम को धारा । Jain Education International हो... गुरु शुक्ल थे प्यारे, जीवन नैया को तारे, जिनको जंपू मैं दिनरात भर ... गुरुवर हो... गुरु चरणों में रहके, ज्ञान- ध्यान है कीना । आगम श्लोक सभी का गुरु मुख से ज्ञान है लीना । हो... तूने धर्म फैलाया, सारे जग को बताया । अहिंसा को धारो जीवनभर ... गुरुवर हो.... संयम की ज्योति जगाकर, अपना जीवन चमकाया । सम्यक ज्ञान को देकर भगतों का भ्रम है मिटाया। हो... मेरा पाप छुड़ाके, मुझे धर्म दिखाके मुझे पार लगाना गुरुवर... गुरुवर हो... चेन्नई नगर में तेरा दीक्षा दिन है आया । भक्तों के दिल में सुमनों को तुमने खिलाया । हो.... जन-जन - मन हरसे, मेरा मन भी सरसे तुम युग-युग जिओ मेरे गुरुवर... गुरुवर हो.... लय : बाजीगर हो बाजीगर मुनि प्रवीणकुमार शान्ति का बिगुल बजाते हैं जय सुमन गुरु की बोले जा, आनन्द के पट तूं खोले जा । । ये पञ्च महाव्रत धारी है, संयम की करणी भारी है, तू अन्तर कलिमल धोए जा... ये तीन गुप्ति के धारक है, और पंच समिति पालक है, तूं बीज धर्म के बोए जा..... For Private & Personal Use Only जिनवाणी हमें सुनाते है, हम सबका भरम मिटाते हैं, तूं चरणों में शीश नमाए जा .... www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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