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________________ हंस के मरा कोई, कोई रोके मरा। जिंदगी पायी मगर उसने जो कुछ हो के मरा। ___ मैं परम विदुषी महासती जी की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। हार्दिक श्रद्धांजलि • अनोपचंद मोतीलाल पारख, वखारा (रायपुर) म.प्र. स्वर्गीया परम पूजनीया महासताजी श्री कानकवंर जी म.सा. का जन्म .भाद्र पद कृष्णा अष्टमी वि.सं. १९६८ को राजस्थान के ग्राम कुचेरा में हुआ था। आपकी माता का नाम अनछी बाई और पिता का नाम श्री बीजराज जी सुराणा था। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति की रुचि आप में बाल्यकाल से ही थी। आपके. माता-पिता भी धर्म शील श्रावक-श्राविका थे। आपका विवाह श्रीमान घासीलाल जी भण्डारी के साथ हुआ था। कुछ समयोपरांत आपका झुकाव धर्म ध्यान की ओर अधिक हो गया। फलतः माघ शुक्ल दशमी दि. सं. १९८९ के दिन ग्राम कुचेरा में ही स्वामी श्री हजारीमल जी म.सा. के मुखारविंद से दीक्षा व्रत स्वीकार कर महासती श्री सरदार कुवंरजी म.सा. की शिष्या बन कर आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो गई। दीक्षा प्राप्ति के पश्चात आपने अपनी गुरुणी जी की आज्ञा से आगमों का सम्यक अध्ययन किया। इसके साथ ही आप लोगों का पथ प्रदर्शन भी करते रहें। हमारी विनम्र विनती को स्वीकार का आपश्री अपने विहार काल में आठ-दस दिन तक रूके और अपनी अमृतवाणी से हमें लाभान्वित किया। भखार श्रीसंघ को आपश्री के सानिध्य में महावीर जयंती मनाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। आपश्री के विनम्र व्यवहार, शांत स्वभाव और गंभीर वाणी से हमारी छोटी बहन चंचल पारख (मुस्कानी) अत्यधिक प्रभावित हुई और अंततः उसने आपश्री के पावन सानिध्य में संयम व्रत अंगीकार कर लिया। गुरुदेव श्री रतनचन्द्र जी म.सा. ने दीक्षा मंत्र प्रदान कर महासती श्री चन्द्रप्रभाजी म.सा. के नाम से परम विदुषी महासती श्री चम्पाकुवंर जी म.सा. की शिष्या घोषित किया। आपकी छत्र छाया में महासती श्री चन्द्रप्रभा उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर हो रही है। वीर प्रभु से हमारी यही विनती है कि पू. श्री कानकुवंर जी म.सा. एवं श्री चम्पाकुवंर जी म.सा. की आत्मा को मोक्ष मार्ग की अमर ज्योति की ओर ले जावे और उनकी आत्मा को परम आनंद प्रदान करें। हमारी ओर से दोनों दिवंगत आत्माओं को हार्दिक श्रद्धांजलि। * * * * * (४९) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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