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________________ (विशेष गुरुगम) सौलह सती यंत्र नोट - किसी-किसी यंत्र में १६ सतियों के नाम वीजा अक्षरों सहित उल्लेखित भी हैं। सर्वसिद्धि यंत्र - उद्देस्य पूर्ति में यह यंत्र बड़ा चमत्कारी है। इसका उपयोग करने से पूर्व सिद्ध करना जरूरी है। यंत्र बनाने से पहले जाप संख्या पूर्ण करके पश्चात् अष्ट गंध से भोज पत्र पर लिखकर काम में लेते समय भावनाओं का संग्रह करते रहे, तो निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा। (श्रद्धा का संबल जरूरी है) रोग निवारण यंत्र - इस यंत्र को पौष वदी दसमी के दिन १०८ बार यंत्र में दिया मंत्र (श्लोक) बोलकर सिद्ध कर लेवें पश्चात् काली स्याही से मोटे कागज पर यंत्र बनाकर जहाँ रोगी का शयन कक्ष हो जहाँ उसकी नजर पड़ती हो वहाँ लगा देवें। छोटे बालक को रोगी अवस्था में छोटे कागज पर वह यंत्र बनाकर सुगंधित द्रव्य लगाकर इसके गले में या भुजा पर बांधने से रोग का शमन होगा। (विशेष गुरुगम) सौलह सती ८०र २५ह २०स झि ५०हः ७५सः १५हुँ ३०सुं स्वा ६०हुँ ६५सुं हा ७०ह २५र 88888888888888888888888888888888 ५५स १०र हा ४०सः इस यंत्र का हृदय में ध्यान करने से बुद्धि निर्मल होती है, पाप का नाश होता है। सब प्रकार के रोग संकट दूर होते हैं। यह यंत्र केशर, चन्दन आदि सुगन्धित द्रव्यों से शुद्ध थाली, आदि पात्र में (१५७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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