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महान विदुषी श्रमणी
• चाँदमल बाबेल, भीलवाड़ा
करोड़ों रोज आते है, धरा का भार बनने को । अनेकों जन्म लेते है, जनों के पाश बनने का ॥
कई है जन्मते है पंड़ित, जबां से बन बनने को उपजते है यहाँ कितने, शरीर सन्त बनने को ॥
· भारत विश्व में अध्यात्म स्थली रहा है । यहाँ पर अनेक महापुरुषों ने अवतरित होकर इस अध्यात्म ज्योति को जलये रखा है। राम कृष्ण बुद्ध महावीर ने अपने अध्यात्म ज्ञान से एवं धर्मोपदेश से इस देश के धर्ममयी स्वरूप को बनाये रख कर इसे विश्व में विशिष्ट स्थान प्रदान किया है। तथा श्रेष्ठ आदर्शों की स्थापना कर इसे ओर भी निखारा है । भगवान् ऋषभ देव से लेकर अब तक सभी तीर्थकरों के सांनिध्य में लाखों संयमी आत्म मुमुक्षुओं ने धर्म पथ पर चल कर आत्म कल्याण किया तथा मानव को सद्द्बोध देते रहे है । पावन धर्म सलिला निरन्तर प्रवाहित करते रहे है । यह क्रम आज तक चला आ रहा I
आज इस भौतिकवादी आधुनिक युग में भी प्रेम, त्याग, सदाचार, संयम की धारा बह रही है अध्यात्मवाद कायम है। प्रेम करूणा अपनापन, भाईचारे की बेल हरी भरी दिखाई दे रही है इन सब का आधार श्रमण-श्रमणी वर्ग का अथक प्रयास है। इन साधकों की अनुपम देन है। इन महापुरुषों की समाज पर कृपा है
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इन साधकों की सुदीर्घ पंक्ति में जहाँ पुरुषों का महान योगदान रहा है । वहाँ नारी भी पीछे नहीं रही है सत्य पूछा जाय तो श्रमणी वर्ग ने अपने तप, त्याग, समता सरलता, नम्रता, स्नेह, समर्पण एवं सद्भावना समाज अपनी मिसाल कायम की है । यह उपरोक्त गुणों की प्रतिमूर्ति है जिससे पुरुष वर्ग ने प्रेरणा ली है । आगम कथा साहित्य इतिहास इसका साक्षी रहा है कि जितना तप एवं त्याग श्रमणी वर्गा रहा है उतना श्रमण वर्ग का नही रहा है। सीता, अजंना, सुभद्रा, द्रोपदी, चन्दना, सुलसा जयन्ति आदि की दिव्य साधना बोलती तस्वीरे हैं ।
ये दिव्य मणियाँ चिरकाल से अपनी साधना एवं सद्प्रवचनों से अनेक आत्माओं का पथ प्रदर्शन करती रही है तथा कर रही है। इसी श्रृंखला में एक विलक्षण साधिका परम् विदुषी श्री चम्पा कुंवर जी म. सा भी रही है ।
मीरा जैसी प्रभु भक्ति की अमर साधिका ने जिस क्षेत्र में जन्म लेकर जिस क्षेत्र को पावन किया उसी क्षेत्र के इर्द गिर्द कुचेरा में इस साधिका ने जन्म लेकर परिवार एवं समाज को धन्य किया है । जिस प्रकार भक्ति मति मीरा को अपने परिवार जनों के संसर्ग में भक्ति रंग लगा था उसी प्रकार इस महान साधिका को भी परिवार एवं ननिहाल से सहज अवसर मिल पाया जिनकी प्रेरणा से मार्ग प्रदर्शन में सहज ही सुलभता मिगयी एवं उसी मार्ग पर चल पड़ी। अन्यथा ऐसा कौन होगा जो कि इस भर यौवन में
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