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मुनि का जीवन व मरण दोनों ही महोत्सव होते है। जो संसार त्याग कर त्यागी जीवन जीते है, उनका मरण भी धन्य होता है। पू.श्री आशीष मुनिजी म.सा. दस कि.मी का विहार कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने आए थे, इससे उन्होंने अपनी महानता का ही परिचय दिया। अंत में चार लोगस्स का ध्यान करने के पश्चात् पू. श्री आशीष मुनि जी म.सा के मंगल पाठ के साथ ही सभा विसर्जित कर दी गई। सभी की आँखों में आँसू थे सभी का हृदय रो रहा था, सभी कह रहे थे कि कल तक जो हमारे बीच थे,हमारे समक्ष थे, उन्हें ही आज श्रद्धांजलि अर्पित करनी पड़ी।
पू. गुरुवर्याश्री के अनन्त अनन्त गुणों का वर्णन करने का सामर्थ्य मेरी लेखनी में नहीं है। जो कुछ भी स्मृति में था। वरिष्ठ महासतियाँ जी से जो ज्ञात किया और उनके पावन सान्निध्य में रहते हुए जो देखा, उसी के अनुसार मैं यह लेखन कर सकी हूँ। अपनी जीवन निर्मात्री भी पू. गुरुवर्याश्री को मैं अपनी ओर से सादर सभक्ति हृदय की गहराई से श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ। जहाँ भी गुरुवर्याश्री की आत्मा है, वहाँ से मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें कि मैं आपके पदचिह्नों पर चल सकूँ।
पारिवारिक वैशिष्ट्य:- पू. गुरुवर्य्याश्री के परिवार में धर्म के प्रति रुचि थी। न केवल आपका पितृपक्ष धार्मिक रूप से जागृत था वरन् आपका ननिहाल भी धार्मिक जागृति में किसी से पीछे नहीं था। आपके दोनों कलों से जिन भव्य आत्माओं ने संयम मार्ग अपनाकर जैन शासन की सेवा की उनके नाम इस प्रकार है। -(१) स्व. आचार्य प्रवरश्री जीतमल जी म.सा. (मामा), (२) स्व. सरलमना पू. श्री भीम कुंवर जी म.सा (नानीजी), (३) स्व. अध्यात्म योगिनी महासती श्री कानकुंवर जी म.सा (भुआजी), एवं (४) मृदुभाषी पू. श्री सुन्दर कुंवर जी म.सा (काकीजी)। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके परिवार में कितनी धार्मिक जागृति है।
शिष्याएँ- आपकी शिष्याओं का संक्षिप्त जीवन परिचय निम्नानुसार दिया जा रहा है ।(१) महासती श्री चेतन प्रभाजी म.स जन्म नाम- कु. लता
जन्म स्थान- रायपुर (म.प्र) माता- श्रीमान् सावित्री देवी पिता- श्रीमान् बलदेवप्रसाद जी सोनी दीक्षा तिथि- दि २९.११.१९८१ दीक्षा स्थान- दुर्ग (म.प्र.)
दीक्षा प्रदाता- वाणी भूषण श्री रतन मुनिजी म.सा. गुरुदेव- श्रमण संघीय (स्व) युवाचार्यश्री मधुकर मुनिजी म.सा गुरुणी- परम विदुषी सिद्धांताचार्य स्व. महासती श्री चम्पाकुंवरजी. म.सा
अध्ययन- मैसूर विश्वविद्यालय से एम.ए तथा इलाहाबाद से साहित्यरत्न। धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन विशेष रुचि- तत्वचिंतन, मौन साधना, स्वाध्याय आदि
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