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परम विदुषी गुरुवर्या महासती श्री चम्पाकुंवरजी म. : जीवन दर्शन
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साध्वी श्री चन्द्रप्रभा
सर्जन और विसर्जन संसार का अटूट नियम है। इस वसुन्धरा पर नित्य अनेक प्राणी जन्म लेते हैं और मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। फिर भी संसार के किसी कार्य में गतिरोध उत्पन्न नहीं होता। अस्तव्यस्तता नहीं आती । कतिपय व्यक्तियों के सिवाय उनके जन्म मरण से उनका कुछ बनता बिगड़ता नहीं है।
कभी-कभी प्रकृति की महान कृपा से संसार को ऐसी दुर्लभ विभूतियाँ उपलब्ध होती हैं। जिन्हें पाकर धरा धन्य हो जाती हैं, गगन आनंद से गर्जन करता है, दिशायें झूम उठती है और प्रकृति सौरभ सुषमा बिखेर कर उनका स्वागत करती हैं।
ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति ही संसार में पूजे जाते हैं। आदर, सत्कार, सम्मान के योग्य माने जाते हैं। उन्हीं का जीवन इतिहास के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो सदियां बीत जाने पर भी देदीप्यमान रहता है। उनका भव्य व्यक्तित्व, अकृत्रिम, सहज जीवन चित्र मानव हृदय पटल पर अंकित रहता है। उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व प्रकाश स्तम्भ बनकर युगों-युगों तक भूली भटकी जनता का पथ प्रदर्शन करता है। समाज की उलझी गुत्थियों को सुलझाने में सहायक होता है। अपने अनुभव ज्ञान की अमर ज्योति से अध्यात्म रसिक मानवों को नेतृत्व प्रदान करता है।
भारतभूमि का यह परम सौभाग्य रहा है कि इसके रजकणों में ऐसी एक नहीं अनेक महान आत्माओं का आविर्भाव हुआ है, जिन्होंने अपने ज्ञानालोक से समस्त विश्व को प्रकाश दिया है। धर्मप्राण, अध्यात्म से निमज्जित नाना विभूतियों ने सत्य तत्व का साक्षात्कार कर अपने पवित्र, अलौकिक प्रवचनों से अध्यात्म रस की अजस्त्र धारायें प्रवाहित करते हुए सृष्टि का शोक, संताप, क्लेश दूर कर अनिर्वचनीय आनंद सुधा से जन मानस को अभिसिक्त कर प्राणिमात्र को विपत्तियों से बचाने के लिए अपने समस्त जीवन को समर्पित कर दिया है।
'आज भी श्रमण एवं श्रमणियों से वसुन्धरा का आंचल रिक्त नहीं है। नारी होकर आदर्श श्रमणी पथ का अनुगमन इनकी विशेषता है। पूजनीया गुरुवर्या श्री का जीवन भारतीय संत परम्परा की अविछिन्न कड़ी है। यद्यपि संतों के वर्चस्व के कारण भारतभूमि विख्यात रही है तथापि श्रमणियों के वर्चस्व से भी यह धरा रिक्त नहीं रही। यही कारण है कि कंटकाकीर्ण संयम मार्ग हमारी चरित्र नायिका के लिये कोमल फूलों की सेज के समान है।
उत्कृष्ट त्याग, निरभिमान, शुद्ध आचार, परिष्कृत विचार, शांत स्वभावी, सरलमना, मृदु मधुर, ओजस्वी वाणी, आत्म साधना में सतत् जागरुकता अद्भुत गम्भीरता, सहनशीलता की प्रतिमूर्ति, अनुपम क्षमाशीला, विनय, विनम्रता आदि अनेक गुण आपके श्रमणी जीवन के उज्ज्वल अलंकार थे।
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