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करे। इस तरह की मनख कने पइसो होवे तो लुगाई भी खूब सुख दे ही होवे। और खाने को नहीं है तो वा ही दुख देवे। तो थे सगला जाणो ही हो क कर्म किम कारण नाच नचावे। बस सगला खेल तकदीर का है ब्राह्मण री अकल ठिकाणे आय गयी।
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त्याग को फल
एक जाट हो एक जाटनी ही। दोना रे ही आपस में प्रेम घणो ही थो। एक दिन जाट खेत जावतो हो। रस्ता में पब्लिक भरी ही सामने जैनिया रा साधु आयोड़ा हा। साधुजी को व्याख्याण चाल हो, जाट देख्यो वाणिया का माराज ही है। चालो आज तो व्याख्याण सुणलेवा पाछा खेता जावे। जणा जाट सभा में बैंठग्यो। व्याख्याण पूरो हुयो। जणा लोग सगला सोगन लिया। जणा. जाट मन में जाण्यो, अबे मैं कांई भेटण देवू। जाट विचार में पड़ गयो। जणा पाटेरे लारे जाय ने मुनि राज के केवे -मारी पागड़ी में एक रुपयो ही है आज इसो ही लेव लेवो। मैं गरीब आदमी हूँ। तो मुनिराज केवे के भाई मने थारा रुपया पइसा कोनी चहिये, त्याग कर जाट त्याग। जणा जाट कियो और तो काई त्याग करु। कोक लारा त्य
| दो। जणा साध जी कोक लारा त्यागे करा दिया। त्याग करने घर आयो। जाट आवता ही जाटणी के वे आज चौधरी मोड़ो धणो आयो। इतो कांई करियो। जणा जाट तो आनाकानी करी पण जाटणी तो आपरो जोर बतावणे लागी। पछे आखिर जाट कियो कांई-कांई करियो। वाणिया रा माराज आया, जको व्याख्याण सुणणे बैठ गयो। जाटनी के वे जणा तोथे कि सौंगध करी हो। सांची बात बताओ। जणा जाट केई देर विचारो, चुपचाप रहियो। आखिर घणी तंग करी जाटणी, जणा जाट केवे और तो कि कोनी करियो खाली कोकला ए सौंगध लिया हूँ। जणा जाटणी केवे मैं तो आज ही कोकला बणाया हूँ। कोकला ही घालू तो जाट केवे कोकला तो मती घाल, जोल घाल दे। जणा जोल घालने लागी तो केव गुड़तार ड तो पडने दे। जणा जाटनी केवे इस्या त्याग में कोई तिलक काढो. त्याग करणो है तो सांचा मन सं करनो। जणा जाट अब जोल ही खाण छोड़ दियो। जाटनी जिद्द कर बैठी, आज तो कोकला ही बणाया है, ऐही खावण पड़ी। जाट के वे मैं खावू को नी। जाटनी के वे खावण पड़ी। यू करता करता आपस में हुग्यो झगड़ो। झगड़ो इस्यो हुओ जको जाटनी बलती लकड़ी लेया लाए फिरी। जाट तो जीव बचावण खातिर दौड़तो दौड़तो एक मंदिर में जार ठरग्यो। रात पड़ी और करीब बारह बजे और बारह बजता ही चार चोर आया धन लेर।, मंदिर की देवी का बोल्वा बोलोड़ी ही जणा अब चोरान कोई नारियल फोड़णो हो। अठी ने बठी ने देख्यो तो जाट को माथो हो। मोड़ो मोड़ के माथे नारेल फोड़णे लाग्यो चोर। इते में जाट नींदू जाग ने केवे खालेवू-खालवू। क चोर तो डर ने भाग्या। भागता ही जाट उठ्यो, उठने देख्यो तो
गांठा पडी। गांठा उठायने ले आयो। और हेलो भारयो-अब तो आडो खोल। आडो खोल्या हूँ पेली देख्यो तो धन की गांठा देखी, देखदेख झट आडो खोल्यो खोल आ वो अब तो थे के वो तो सीरो तो सारो ही घाल दूं। धन के कारण मिनख आदर पा होवे। अब जाट ने आदर मिल ग्यो। जाट-जाटणी अब आराम हूं रेवे। धन तो है ही। खावे पीवे आराम सू रेवे। थोड़ा दिन पछे एक बेटो हुयो। बेटो पढ़ लिख ने मोटो हुयो। जाट-जाटणी ही सेवा सारे और आपरे आराम सू रेवे। चोखी लागे तो राख जो नहीं तो मारी पाछी दे दी जो सा।
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