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________________ जिस समय मारवाड़ से दक्षिण की ओर विहार हुआ उस समय भी स्वामी जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था किन्तु अपने आत्मबल के सहारे वे सतत विहारत रहे। मैंने गुरुदेव को बहुत निकट से देखा है। उनके असंख्य गुणों को मैं अपनी लेखनी में बांधने में अपने आपको असमर्थ पा रहा हूं। समस्या यही है कि क्या छोडूं और क्या लिखू। भावना में भी बह जाता हूं और जो लिखना चाहता हूँ, वह लिख नहीं पाता हूं। जब विहार करते हुए हम धूलियां पहुंचे तो भी स्वामी जी कोई विशेष अस्वस्थ नहीं थे। २६-जून ८३ को धलियां में स्वामीजी का जोरदार स्वागत हआ। २९ जन को धुलियां से विहार की घोषणा की गई किन्तु उस दिन जोरदार वर्षा होने से विहार न हो सका। ३० जून को स्वामी जी की अस्वस्थता बढ़ने लगी। सभी प्रकार के उपचार किये गये किंत होनी को कौन टाल सकता था। अंततः २ जुलाई १९८३ को स्वामी जी सबको रोता बिलखता छोडकर इस संसार से सदा सदा के लिए महाप्रयाण कर गए। स्वामीजी के देवलोक होने के समाचार तत्काल पूरे देश में प्रसारित हो गए और चारों ओर शोक की लहर छा गई। लगभग ७० वर्ष की सुदीर्घ दीक्षा पर्याय में स्थविरवर स्वामी जी म. ने अखण्ड चारित्र साधना की, सेवा की अखण्ड लौ जलाई विनय एवं सरलता की जो दिव्यता प्राप्त की, आत्मा को निर्मल एवं संयमनिष्ठ बनाने में जो सतत जागरूकता बरती, वह हम सबके लिए आदर्श हैं। 8800000550002858690888 मन के साथ ही वचन से भी संयम रखने की आवश्यकता होती है। अशुभ तथा किसी को भी चोट पहुँचाने वाले शब्दों का त्याग करना साधक के लिए अनिवार्य है। शस्त्र के द्वारा शरीर को जो चोट पहुँचती है वह तो अल्प समय में ही ठीक हो जाती है किंतु कटुवचनों के द्वारा मन को जो चोट । पहुँचती है वह कभी भी मिट नहीं सकती। ... कितनी अज्ञानता है आज मानव के मन में? वह यह नहीं सोच पाता कि भिन्न-भिन्न प्रदेश के । । मनुष्यों का पहनावा अलग प्रकार का है तो क्या, उनके रीति-रिवाज भिन्न है तो क्या? आत्मा तो सभी ।। की एक तरह की है। अगर आत्मा में निर्मलता है तो मनुष्य उच्च है। आत्मिक निर्मलता के अभाव में । । देश, जाति, सम्प्रदाय आदि से सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती। • युवाचार्य श्री मधुकर मुनि 38888899965668858 (३०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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