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क्रूर काल के सम्मुख सारा हार गया संसार। गुरुणीजी स्वर्ग सिधारे, दुःख हुआ अपरम्पार॥९॥
रो रो कर पुकार रही मैं कठे विराजा जाय। तरुण प्रभा का श्रद्धा सुमन है चरणों के माय॥१०॥
श्रद्धा सुमन
• साध्वी श्री मणि प्रभा, आमेट मरुधरा की महान सती गुण रत्नों की खान। सरदार कुंवर की शिष्या, प्यारी कानकुंवर जी नाम॥
शिष्या थी आपकी चम्पाकुंवर जी श्रमण संघ की शान।
ज्ञानी ध्यानी मधुर वाणी, ओजस्वी व्याख्यान॥ कुचेरा में जन्म लियो, शिक्षा वही पर धारी। दीक्षा लेकर नाम कमायो, कुचेरा की धरा प्यारी॥
मद्रास शहर में स्वर्ग गये, उदास भये नर नारी। श्रद्धा सुमन चरणों में उनके अखियाँ आंसू डारी॥
श्रद्धा पुष्प (तर्ज जय बोलो महावीर स्वामी की)
• साध्वी श्री सुदर्शनप्रमा, आमेट जय बोलो ज्ञानी सतीवर की।
जिन धर्म दिपावन वाली की॥जय॥ पूज्य कान चम्पा जोड़ी प्रियवर की ॥जय॥ तप तेज में आप महकती थी। दर्शन कर सब जन सुख पाया।
मधुर व्याख्यानी सतीवर थी॥ मधुर वाणी सुन हरसाया॥
मधुकर शिष्या प्रियवर की॥ जय ॥ मन मोहन मूरत गुण कर की॥जय॥
कुचेरा भूमि है पुण्यकारी। मिथ्यात्व को नित दूर किया।
जहां जन्म लिया द्वय सतीवर प्यारी॥ जीवन में समकित बीज बोया॥
सुदर्शन प्रभा श्रद्धाजंली अर्पित की॥जय॥
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