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शोक पंचक
• उप प्रवर्तक श्री सुकनमल जी म.सा.
समता रस में लीन थी, सरलमना गुणवान। कानकुंवर सटके कियो, स्वगों में परियाण॥१॥
सती चम्पा आगे कियो, स्वर्गा माँहि वास।
गुरुणी कानकुंवर जी, झट पहुँची है पास ॥२॥ वसन्त झूरे कंचन झूरे, चेतन चन्द्र विलखाय। सुमन सुधा अक्षय सती, आँसू नयन दिखाय ॥३॥
मारवाड़, मद्रास में, लियो जस भरपूर।
जय मल्ल गच्छ (श्रमण संघ) में दिपती तप जप में थी सूर॥४॥ तव आत्म आनन्द लहे, वृज मधुकर की महैर। 'सुकन' धर्म में लीन बन, करो मुक्ति की शेर ॥५॥
• पाली (राजस्थान)
श्रद्धा पुष्पांजली भेंट • -मुनि श्री उत्तम कुमार मिश्री' बैंगलोर।
जहाँ पर पैदा हुए, जिन शासन वाटिका में,
मीरा, राणा गुणखान॥ खिले सुमन अनेक।
(३) पूज्य साध्वी कानकंवर जी,
माता अनछी बाई जी, हैं उनमें से एक॥
पिता श्री वीजराज।
सौंपी पुत्री गुरुणी को, जन्म पाया कुचेरा में,
जिन शासन के काज॥ वीर भूमि राजस्थान।
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