SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साध्वारत्न पुष्पवता आभनन्दन ग्रन्थ, गुणों की आगार हैं । उनका जीवन बहुत ही मधुर है । मानवता को उबुद्ध करने में संजीवनी की तरह है । आज समाज, देश और राष्ट्र हिंसा और अशांति से प्रताड़ित हैं । भीषण संघर्षयुक्त जीवन जीया जा रहा है । ऐसी विकट बेला में आपका आध्यात्मिक जागृति का संदेश जन-जन के लिये प्रेरणादायी है । अभिनन्दन की मंगल बेला में मैं अपनी अनन्त आस्था सद्गुरुणीजी के चरणों में समर्पित करता हूँ । और यह मंगल कामना करता हूँ कि वे सदा स्वस्थ रहकर हमें मार्गदर्शन प्रदान करती रहें । 5F?easin fastashatiasjobstaclasheshasas of Fb Fb Fb } वे आत्मशुद्धि और आत्म उन्नति के पथ पर निरन्तर बढ़ती रहें । उनका मंगलमय व्यक्तित्व और कृतित्व हम सभी के लिए प्रेरणादायी है हम बहुमुखी प्रतिभा की धनी उनके सद्गुणों के प्रति हमें जत हैं और बहुत ही नम्रता के साथ अपनी श्रद्धार्चना समर्पित करती हैं । - महासती कौशल्याजी sashsacbcbshasht महासती पुष्पवती जी बहुमुखी प्रतिभा की धनी साध्वी हैं । लौकिक बुद्धि के साथ उनमें आध्यात्मिक गुणों का ऐसा उत्कर्ष है जिसे देखकर हृदय श्रद्धा नत हो जाता है | पैदल परिभ्रमण कर जन-जन में जागृति पैदा करती हैं । उन्हें साधु और साध्वी समाज की तथा श्रावक और श्राविकाओं की आवश्यकता का ध्यान है, भान हैं । वे देख रही हैं कि आज का समाज अज्ञान के अन्धकार से ग्रसित है । इसलिए वे ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित करना चाहती । वे शिक्षा की पावन प्रेरणा प्रदान करती हैं । वे स्वयं अध्ययनशीला हैं ओर दूसरों में अध्ययन की रुची जागृत करती हैं । आज समाज का नैतिक पतन काफी हो गया है । उस नैतिक पतन को देखकर आपका हृदय व्यथित है । जब तक नैतिकता नहीं आती तब तक आध्यात्मिक मूल्यों की प्रतिष्ठा नहीं होती । इसलिए आप अपने प्रवचनों में नैतिक मूल्यों के मूल्यांकन पर बल देती हैं । और उसी के लिए विविध अंचलों में १६ | प्रथम खण्ड, शुभकामना : अभिनन्दन आपका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक है, उसमें आध्यात्मिक आलोक जगमगा रहा है । अन्तर्ज्ञान का तेज प्रस्फुटित हो रहा है । इसलिए जो अशान्त लोग आपके पास आते हैं । वे शान्ति का अनिर्वच नीय आनन्द प्राप्त करते हैं । महासती पुष्पवती जी ने अपने जीवन काल में सेवा, सद्भावना, स्नेह, सौहार्द का जो अनुपम आदर्श उपस्थित किया है । वह सभी के लिए प्रेरणादायी है । 9009666666666666666666666666666666 एक तेजोमय व्यक्ति व --- महासती चारित्रप्रभाजी 60666666666666666 99996989006 "तेजसां हि न वयः समीक्ष्यते" तेजस्वी व्यक्तियों का अंकन वय के आधार पर नहीं किया जा सकता । उनका तेज प्रधान व्यक्तित्व ही जन-जन का आकर्षण केन्द्र है । उनका अभ्युदय स्थिति सापेक्ष नहीं पर प्रतिभा की तेजस्विता से युक्त होता है । उनका गतिशील व्यक्तित्त्व सरिता की सरस धारा की तरह निरन्तर आगे बढ़ना जानता है किन्तु पीछे हटना नहीं । महासती पुष्पवती जी का जीवन विकासोन्मुख रहा है ! बड़ी से बड़ी बाधाएँ उनके मार्ग को अवरुद्ध www.jainelit
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy