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साध्वारत्न पुष्पवता आभनन्दन ग्रन्थ
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गुणवान आत्मा का सम्मान करना गुणज्ञों का उसे पृथक करता है । वैसे ही जिनमें ज्ञान की चमक कार्य है, यूँ तो संसार में लाखों और करोड़ों मानव हो, दर्शन की दमक हो और चारित्र की प्रभा हो वे है पर जिनके जीवन में प्रकाश होता है उन्हीं की ही सतियाँ रत्न कहलाती हैं । महासती पुष्पवतीजी ओर जन मानस का ध्यान केन्द्रित होता है । सूर्य साध्वी रत्न हैं उनके जीवन में अनेक सद्गुणों का और चन्द्र ये दोनों प्रकाशमान हैं, सूर्य के प्रकाश में साम्राज्य है।
मेरा हार्दिक आशीर्वाद है कि वे उन्नति करें।
निरन्तर बढ़ती रहें, उनका जीवन प्रकाश स्तम्भ की चमकता सूरज : दमकता जीवन तरह सदा सर्वदा प्रकाश प्रदान करता रहे। भूले
भटके जीवन राहियों को मार्ग दर्शन देता रहे । --प्रवर्तक श्री कल्याण ऋषिजी म.
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तेज होता है, इस कारण उसकी ओर कोई व्यक्ति देख नहीं पाता, उसकी आँखें चौंधिया जाती हैं जब
गुणों की खान कि चन्द्र के प्रकाश में सौम्यता होती है, जिसको निहारने से नेत्रों को शान्ति मिलती है। प्राचीन
---उपप्रवर्तक तपस्वी साहित्य में यह भी लिखा है कि चन्द्रमा से अमृत भी झरता है, सन्त पुरुषों का जीवन भी चन्द्र की तरह
স্ত্রী হকহান oিr सौम्य होता है, उनके गुणों का उत्कीर्तन करने से जीवन में शान्ति का अनुभव होता है और उनके दर्शन करने से जीवन में अभिनव चेतना का संचार नारी समाज की अद्भुत शक्ति है-'यत्र नार्यस्तु होता है।
पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता' जहाँ पर नारियों की ___ महासती पुष्पवतीजी हमारे श्रमण संघ के पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं। यह एक उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनिजी की ज्येष्ठ भगिनी हैं पुरातन सांस्कृतिक सूत्र है जिसमें पुण्यशीला नारियों पूना सन्त सम्मेलन के सुनहरे अवसर पर आपको के प्रति हार्दिक श्रद्धा व्यक्त की गई है । नारी ऐसी देखने का सुखद अवसर मिला, आपकी सरलता- दिव्य शक्ति है जो पुरुष में क्षमता और सहनशीलता नम्रता-सौम्यता आदि सद्गुणों को देखकर मैं प्रभा- का संचार करती है, स्वयं जागृत रहकर अपने ध्येय वित हुआ। आपने लघु वय में भोगों का परित्याग की ओर बढ़ती है। नारियों के आदर्श बलिदानों से कर वीरांगना की तरह संयम साधना की ओर अपने भारतीय इतिहास के पृष्ठ भरे पड़े हैं । उनकी कठोर सुदृढ़ कदम बढ़ाए और आज आप साध्वीरत्न के तपस्या, उनकी सेवा, संवेदना उनका त्याग, उनकी पद पर पहुँची हैं।
साहस की गाथाएँ जन-जीवन को प्रेरणा प्रदान करती केवल दीक्षा लेना ही पर्याप्त नहीं है, दीक्षा हैं वे राष्ट्र की थाती हैं उनका आदर्श अप्रतिहत है,वह लेकर शिक्षा प्राप्त करना और सद्गुणों से जीवन प्रेरणा की उर्वरा भूमि हैं । पुरुष समाज का मस्तिष्क को चमकाना आवश्यक है। सामान्य पत्थर रत्न है तो नारी हृदय है। हृदय का योगदान मिलने से नहीं कहलाते, रत्न वे कहलाते हैं जिनमें चमक-दमक मस्तिष्क का ताप शान्त होता है और कार्य करने होती है। ऐसा पानी होता है जो अन्य पत्थरों से की प्रेरणा प्राप्त होती है । ६ | प्रथम खण्ड : शुभकामना : अभिनन्दन
मसा
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