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साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
Man have sight, woman have insight.
अर्थात् - मनुष्य को दृष्टि प्राप्त होती है पर नारी को दिव्य दृष्टि । जितनी धार्मिक भावना नारी में होती है, उतनी पुरुषों में नहीं ।
मध्य काल की आर्य नारी- भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के बाद भी, मध्य काल की नारियों का नाम श्रद्धा से लिया जाता है । चांपराज हाड़ा की पत्नी रानी सोन ने दिल्ली के दरबार में भारतीय नारी की गौरव परम्परा के लिए, एक नाटकीय ढंग से नृत्य करके झूठ का पर्दा फाश किया । आखिर मुगल बादशाह को मानना पड़ा कि वास्तव में भारतीय नारी चारित्र दृढ़ता में प्रख्यात है । जैसलमेर की राजकुमारी रत्नवती ने बादशाह औरंगजेव को करारी चोट पहुँचा कर विजय प्राप्त की, आखिर हार मानकर सन्धि करके दुगुना राज्य प्रदान किया । पन्नाधाय ने अपने लड़के का बलिदान कर उदयसिंह को बचाया । कुंभलमेर दुर्ग के किलेदार आशाशाह देपुरा ने माता की फटकार सुनकर पूरे आत्म विश्वास के साथ बालक उदयसिंह की रक्षा की ।
All the reasonings of man are not worth one sentiment of woman. ( वालटेयर)
अर्थात् - पुरुष के सारे तर्क स्त्री के एक भाव के समक्ष अयोग्य साबित होते हैं । धर्ममय स्त्री की भावना इतनी तीव्र होती है कि सारे घर को धर्ममय वातावरण में ढाल देती है । जोधपुरनरेश महाराज भीमसिंह जी को बादशाह ने दिल्ली के दरबार में बुलाया और पूछा- महाराज भीमसिंह जी ! आपको यह कमधज की पदवी किसने दी ? भीमसिंह बोले- इसे तो हमारे पूर्वजों ने, हमारी हिम्मत ने - हमारी शूरवीरता ने दी है । जिसका सिर शत्रु के प्रहार से कट जाय और धड़ लड़ता रहे उसे कमधज कहते हैं । बादशाह – कोई वीर हो तो हाजिर करो अन्यथा पदवी का त्याग करो। एक महीने की मोहलत लेकर जोधपुर पधारे। सभी से इस बात की चर्चा की, परन्तु कोई भी तैयार नहीं हुआ । इधर जाति का मेड़तियाँ चाँदावत कुड़की सरदार का लड़का सुमेरसिंह बूंदी के सरदार की लड़की के साथ शादी करके उसी वेश में जोधपुर आये । महाराज को मुजरा किया। महाराज ने इस बात के लिए कहा। वह तैयार हो गया । घर जाकर माता-पिता की आज्ञा से पत्नी को लेकर दिल्ली आये । सभी को कहा मेरा सिर उड़ा दो मगर किसी की हिम्मत नहीं हुई । कुँवराणी ने पति का सिर उड़ा दिया और बोली- वाह राजपूती ! तीन बार कहा और धड़ दौड़ने लगा । जिधर पहुँच जाय उधर सफाया होने लगा । भगदड़ मच गई। आखिर गुली का छींटा देकर धड़ को ठन्डा किया। पति के साथ कुंवराणी भी सती हो गई । अगर नारी सुमेर सिंह को हिम्मत नहीं बँधाती तो यह वीरतापूर्ण कार्य असंभव था । सती जसमा ने अपने प्राण दे दिये मगर शील पर आँच नहीं आने दी । मध्यकाल की नारियों में वीरता, चरित्रनिष्ठा कूट-कूट कर भरी हुई होती थी । वे अपनी सन्तानों को भी चरित्रनिष्ठ, ईमानदार, सत्य आदि बातें सिखाती थीं । मौका मिलने पर आन-बान पर न्यौछावर हो जाती थीं ।
faद्वानों की दृष्टि में नारी - महात्मा गाँधी की माता ने हर तरह से बचपन में शिक्षा दी थी तभी आगे जाकर वे राष्ट्रपिता कहलाये एवं देश को आजाद कराने में अग्रणी रहे । वीर माता ने भगतसिंह को वीर बनाया एवं हँसते-हँसते फाँसी पर लटक गये, अपनी वेदना को भूलकर भारत माता को आजाद कराने में अन्त समय तक जुड़े रहे । नारी एक वह अलौकिक शक्ति है जो अपने गुणों से सभी को आनन्द एवं प्रकाश से आलोकित करती है । वर्तमान में भी नारी ने राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में
जैनागम और नारी: जैन साध्वी मधुबाला 'सुमन' | २६६