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साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ ।
यास किया गया है। कहा गया है कि यदि कोई शक्तिशाली देवता १००० भार के गर्म लोहे के गोले को फेंके तो ६ मास ६ दिन ६ पहर और ६ घड़ी में वह जितनी दूर जाय उस दूरी को रज्जू कहते हैं। (रत्न संचय ५, १६-२०)। इसी प्रकार 'कोण' शब्द का गणित के अर्थ में प्रयोग सूर्यप्रज्ञप्ति में मिलता है, जो ईसा पूर्व का ग्रन्थ माना गया है । इससे उन कुछ पाश्चात्य विद्वानों की उस धारणा का खण्डन होता है जिसमें वे कोण को यूनानी शब्द 'गोनिया' से निकला हुआ मानते थे। जबकि 'कोण' मुल भारतीय शब्द है। हो सकता है कि उसने यू नान को गोनिया शब्द प्रदान किया है । 'आयत' शब्द आज के वर्तमान अर्थ में भगवती सूत्र (२५, ३) तथा अनुयोगद्वार सूत्र आदि में प्राप्त होता है। 'जीवा' शब्द सर्वप्रथम प्राकृत ग्रन्थों में ही गणित के अर्थ में प्रयुक्त हआ है। 'लघुक्षेत्र समास' नामक ग्रन्थ में 'जीवा' | की व्याख्या दी गई है । अतः 'जीवा' से 'ज्या' के रूप में यह शब्द भारत से अरब और अरब से यूरोप पहुँचा है । इस प्रकार के अन्य सभी पारिभाषिक गणितीय शब्द जैन साहित्य से एकत्र किये जाने चाहिए और उनका आधुनिक गणित के साथ तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए।
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२०४ | पंचम खण्ड : सांस्कृतिक सम्पदा
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