________________
साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
तुम्हारे विनय, विवेक वैराग्य की गंगोत्री से उद्गत निर्मल-स्वच्छ-जीवन प्रवाह को देख, गुरु जनों के प्रमोद पूर्ण हृदय से आशीर्वाद के सुमन निःसृत जीवन में ही सदा फलित-पुष्पित,
iiiiiiiiiiiiiiii
तुम्हारे त्याग-संयम-साधना-संस्कृत सदाचरण की सर्जना से पावन सहज सौम्य-भावों से भरित ये खिले हैं शुभकामनाओं के सुमन
i
iiiHRESTHHTHALLER
ENTERNETRIES
तुम्हारी नवनवोन्मेष शालिनी प्रतिभा-प्रज्ञा अन्तर-उन्मेष खोलने वाली प्रवचन-पटुता, हृदय रथ को स्पन्दित करने वाली कुशल काव्य कृतियाँ, पढ़कर, सुनकर, अवलोकन कर, जगा, जिनके हृदय मे श्रद्धा का दीपक उमड़ा उल्लास का उद्रेक
भक्ति-भरित भावों का आरेक, उनकी, शब्द-सूत्रों में संयोजित श्रद्धा पूर्ण भाव-कलियाँ भावों का पुष्पहार बन, टॅगाहै इन पत्र-पादपों पर स्वीकार करो, हे पुष्पवती महासती
शुभकामना, अभिवन्दन अभिनन्दन !
१३६ | प्रथम खण्ड : शुभकामना : अभिनन्दन
LI
SNE
EMORRHOS
+
KHARA
www.jainelions
ARE