________________
साधवानपुsudता आभनन्दन ग्रन्थ
iiiiifffffffffifffiHRIRTHERN HHHHHHILITARIRITHILIOHITAIRRITICIET MARNERASEANIAMRTCHINAMES
I TIHERARATHIER H PANTHRRAHERE
दुर्लभ है वह पथ जिसे सहज स्वीकार किया समता की विदुषी ने ममता के आंचल में समता की किलकार उठी प्रबुद्ध शील के शोभा रथ पर दुर्गम दुष्कर भीषण दूषण तिमिर-भार से आक्रांत मार्ग में शुद्ध चित्त से आरूढ़ हुई बनी कंटिका की भूमि भी शोभा सिद्धि से पुष्पवती मेवाड़ धरा की पावन प्रतिभा प्राकृत-संस्कृत की गरिमा ले आगम सूत्र में दत्त हुई जिन शासन की शान बनी आत्म-प्रभाधी प्रभावती की क्यों न जन-मन कल्याण करे
ऐसी जिन शासन कीअनुशासन सच्चरित्र भावना जन सेवा जन-जागरण हेतु सुरम्य वाटिका रूप हुई विश्व संत श्री पुष्कर मुनि को पुष्कर तीर्थ सम पावन निर्मल भावों की धारा में निज स्वरूप को देख सकी महासती सोहनकुंवर के पावन-पवित्र-चरण कमल की रज मानों अगम्य रूप में उसे दिखी । किया अपने को अपनी ओर। माता की ममता में भाई श्री देवेन्द्र मुनि के साहित्य सरोवर में डुबकी ले अमर साधिका के चरणाम्बुज सुधा सिन्धु से प्रक्षाल सक तो यह 'माया' भी माया के रूपों को भी छोड़ सकू।
दुर्लभ है वह पथ
10a AMAD
(पिऊ कंज-३ अरिवन्दनगर, उदयपुर)
--श्रीमती माया जैन
RAPE
दुर्लभ है वह पथ | १३३
minsse