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श्री आत्मानंद जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
हस्तिनापुर श्री आत्मानंद जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रेरक आचार्य श्रीमद् विजय प्रकाशचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज हैं। श्री आत्मानंद जैन बालाश्रम की स्थापना के एक ही वर्ष के बाद ई. सन् १९६४ में इस विद्यालय की नींव डाली गई थी। उस समय इस क्षेत्र में एक भी विद्यालय नहीं था। शिक्षा प्रचार का सर्वथा अभाव था। इस कारण शिक्षा के प्रचार-प्रसार के शुद्ध उद्देश्य से इस विद्यालय की स्थापना हुई। और शीघ्र ही यह विद्यालय इस क्षेत्र का लोकप्रिय विद्यालय बन गया।
ई. सन् १९६३ में इस विद्यालय को विज्ञान वर्ग में हाई स्कूल कक्षाएं चलाने की विभागीय अनुमति प्राप्त हुई। ई. सन् १९६४ में विज्ञान वर्ग के साथ-साथ कला संकाय की अनुमति भी शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुई। विद्यालय के पास आधुनिकतम उपकरणों से सुसज्जित विज्ञानशाला है। छात्रों एवं समाज के लिए विशाल पुस्तकालय है। इस समय ८०० से भी अधिक छात्र विद्योपार्जन कर रहे हैं। छात्रों की बढ़ती हुई संख्या के कारण विद्यालय भवन में नये कमरे निर्माण करने की महती आवश्यकता है।
विद्यालय का पाठ्यक्रम कक्षा ८ तक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित है । कक्षा ९ तथा १० उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद् के विधानानुसार अनुमोदित, विज्ञान, साहित्य, वाणिज्य एवं कला वर्ग के विषयों में शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है । माध्यमिक स्तर तक जैन धर्म शिक्षा का पठन-पाठन अनिवार्य रूप से रखा गया है। श्री आत्मानंद जैन उच्च माध्यमिक विद्यालय,
___ मालेरकोटला विश्व वंद्य विभूति, नवयुग निर्माता, महान ज्योतिर्धर, न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की स्थानकवासी दीक्षा पंजाब के मालेरकोटला नगर में हुई थी।
जब उनके विचारों में परिवर्तन आया और शुद्ध सनातन जैन परंपरा मूर्तिपूजा को मान्यता प्रदान की तब उन्होंने सर्वप्रथम मूर्तिपूजा का प्रचार यहीं से प्रारंभ किया था। इस प्रचार के परिणाम स्वरूप दो अग्रवाल श्रावक उनके सर्व प्रथम अनुयायी बने थे। चौदह वर्षों में उन्होंने
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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