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हाथों से इस गुरूकुल का उद्घाटन हुआ। तीर्थ की धर्मशाला में ५५ विद्यार्थियों से इस गुरुकुल का प्रारंभ हुआ।
तीन वर्ष के बाद श्री आत्मानंद जैन गुरूकूल ने अपना मकान निर्मित किया। तब से यह गुरुकुल इसी मकान में कार्यरत है। इस समय यहां ७० विद्यार्थी रहकर अध्ययन कर रहे हैं। अल्प साधनों के कारण विद्यार्थियों की संख्या सीमित रखी गई है। इसलिए प्रतिवर्ष अनेक बालकों को गुरुकुल के द्वार से निराश लौटना पड़ता है। भविष्य में साधन-सुविधाएं बढ़ाने की योजना है। चार कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक विद्यार्थी पढ़ते हैं । वार्षिक शुल्क केवल १६० रुपए हैं। मध्यम वर्गीय साधारण स्थिति के विद्यार्थी को नि:शुल्क रखा जाता है। धार्मिक अध्ययन अनिवार्य है । जैन धर्म के नियमों का पालन अनिवार्य है। इस समय गुरुकुल परिसर में गृह मंदिर के स्थान पर शिखरयुक्त नूतन जिन मंदिर निर्मित हो रहा है।
पंजाब केसरी, युगवीर आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से स्थापित होने वाला यह अन्तिम शिक्षा मंदिर है।
श्री आत्मानंद जैन बालाश्रम, हस्तिनापुर प्राचीन तीर्थ हस्तिनापुर में न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्मारामजी) महाराज के नाम से दो शिक्षण संस्थाएं कार्यरत हैं। (१) श्री आत्मानंद जैन बालाश्रम और (२) श्री आत्मानंद जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय।
इन दोनों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के प्रेरक हैं महान तपस्वी, विद्यानुरागी आचार्य श्रीमद् विजय प्रकाश चन्द्र सूरीश्वर जी महाराज । ई. सन् १९६३ में अक्षय तृतीया के दिन श्री आत्मानंद जैन बालाश्रम की स्थापना हुई थी। तब से यह बालाश्रम इस क्षेत्र के बालकों को सुसंस्कारित करने का उत्तम कार्य कर रहा है। भगवान महावीर स्वामी के दिव्य संदेशों को प्रसारित करने में यह संस्था क्रियात्मक भूमिका निभा रही है।
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा, उत्तर प्रदेश द्वारा इस संस्था का कुशलतापूर्वक संचालन होता है। यहां बालकों के लिए धार्मिक शिक्षा का प्रबन्ध है। विद्यार्थियों को प्रतिदिन मंदिर में जाकर पूजा करना अनिवार्य है। छात्रावास में बिजली, पानी एवं स्वच्छ हवादार कमरों की व्यवस्था है । परिसर में संचालित भोजनशाला में शुद्ध सात्विक भोजन की सुन्दर व्यवस्था है।
श्रीमद् विजयानंद सूरि (आत्मारामजी) के नाम से चलने वाली शिक्षण संस्थाएं एवं सभाएं
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