________________
आचार्य श्री विजयानंद सूरि एवं उनका प्रमुख ग्रन्थ 'जैनतत्वादर्श'
- डॉ. रजनीकान्त एस. शाह जिनशासन के प्रकाशमान ज्योतिपुंज न्यायाम्भोनिधि, पंजाब देशोद्धारक आचार्य श्री आत्मारामजी महाराज जैन जगत के तथा जिन शासन के प्रभावक अग्रदूत थे । इस परम ज्योति स्वरूप, लोक नायक, गुरुवर आत्मानंदजी की प्रासंगिकता आज भी अक्षुण्ण बनी रही है। श्रीमद् आचार्य विजेन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी साहब के शब्दों में, हमें इस बात की पुष्टि मिलती है । “उन्हीं के पुण्य प्रभाव से आज हमारा समाज पुष्पित है, पल्लवित है। उन्होंने विकट समय में अनेक बाधाओं एवं विघ्नों एवं संकटों को सहते हुए शासन की अनन्य सेवा की। सुप्त समाज में नव चेतना का संचार किया।”
गुरुकुल शिरोमणि आचार्य आत्मारामजी महाराज का जन्म पंजाब के जीरा जिला के लहरा गांव में १८३६ ईस्वी गुरुवार के पावन दिन हुआ था।जैन भारती महत्तरा साध्वी श्री मृगावती श्रीजी ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा, पंजाब देशोद्धारक, न्यायाम्भोनिधि, पंजाब के महान ज्योतिर्धर, तार्किक शिरोमणि, क्रांतिकारी जैनाचार्य विजयानंद सूरि जी महाराज के अनंत उपकारों से जैन समाज सदा के लिए उनका ऋणी है। 'तीर्थयात्रा क्या है?” जिन मंदिर क्या है?" प्रतिमा-पूजन का लाभ क्या है?” इनकी उन्होंने सच्ची राह दिखायी है। जैन धर्म, कर्म-दर्शन, जैन इतिहास, संस्कृति एवं साहित्य का ज्ञान दिया।”
आचार्य श्री विजयानंद सूरि एवं उनका प्रमुख ग्रन्थ 'जैनतत्वादर्श'
३६९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org