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आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ
पूज्यश्री हे निर्मल गुरु तुम्हें प्रणाम । हे ज्ञानदीप आगम प्रणाम । हे शान्ति के मूर्तिमान । शिवपथ पंथी गुरु प्रमाण ।
क्षुल्लक आदिसागर मुनि श्री कुंथुसागरजी द्वारा दीक्षित
जयपूर, खानिया प्रभावी व्यक्तित्व की गहरी छाप त्याग व शान्तिमूर्ति १०८ स्व. श्री आचार्य शांतिसागरजी महाराज के व्यक्तित्व की मेरे गृहस्थ जीवन में अमिट छाप पडी और यही कारण है कि मैं आज की स्थिति में पहुंच सका हूँ। मैं पूज्य स्व. श्री १०८ आचार्य महाराज को अपनी हार्दिक श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ।
क्षुल्लक ज्ञानसागर
सागवाडा (दाहोद) श्रद्धासुमन चारित्र चक्रवर्ती श्री १०८ आचार्य प्रवर शांतिसागरजी महाराज;
यद्यपि हमको आपके प्रत्यक्ष दर्शनों का भाग्य नहीं मिला, फिर भी देश के ख्याति प्राप्त त्यागियों, विद्वानों और उन सम्बन्धी विपुल साहित्य से यह भली भांति विदित हो गया है कि आप महान् आत्मा थे। आप से धर्म, देश और जाति के उद्धार का जो कार्य हुआ, उसे जैन समाज सैंकडों पीढियों तक स्मरण करती रहेगी इसमें तनिक भी सन्देह नहीं। हम आपकी महान् आत्मा को श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हुए अपना जीवन धन्य समझ रहे हैं।
क्षुल्लक शीतलसागर
चौमासा, अवागढ ( उ. प्र.) उपवास-महर्षि क्षु. शांतिसागर, आ. विमलसागरजी के संघस्थ पूज्यातिपूज्यैर्यतिभिस्सुवंद्य, संसारगंभीर-समुद्रसेतुम् ।
ध्यानैकनिष्ठा गरिमागरिष्ठं, आचार्यवर्य प्रणमामि नित्यम् ॥ स्वरूपनिष्ठ सदा सावधान आचार्य श्री तपस्या में भी विशेष सावधान थे। देह के प्रति निर्ममता सातिशय थी।
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