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आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ प्रधान उद्देश यह था कि, दिगंबर जैन आर्षग्रंथों का प्रमाणित मुद्रण तथा प्रकाशन और उनका समाज के मंदिर आदि सार्वजनिक संस्था में निःशुल्क वितरण करना ।
श्रीदिगंबर जैन महासभा की ओर से पू. महाराजजी का हीरकजयंती महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। उसके लिए समाज में काफी चंदा हुआ। खर्चा जाने के बाद बचत में से तथा संस्था ने दी हुई ढाई हजार की मदद से श्री. चंद्रप्रभु मंदिर के सभामंडप के ऊपर एक " श्रुतभांडार हॉल " फलटण के दिगंबर जैन समाज ने बनवाया। वहीं पर धवला का ताम्रपट तथा धवलादि मुद्रित ग्रंथ रक्खे हैं। उसी समय प्राचीन आर्ष ग्रंथ का प्रचलित हिंदी भाषा में सानुवाद प्रकाशन करके प्रत्येक गांव के मंदिर में समस्त श्रावकों के स्वाध्यायप्रीत्यर्थ विनामूल्य भेजने का कार्य 'ग्रंथ प्रकाशन समिति को' सुपूर्द किया। तबसे समिति ग्रंथप्रकाशन तथा ग्रंथवितरण का कार्य अव्याहत रूप से करती आ रही है।
पू. आचार्य श्री के उपदेश से निम्नलिखित दातारोंने कागज के व्यतिरिक्त विशिष्ट ग्रंथ के प्रकाशन में जो खर्च आया वह सब दानरूप से दिया है। दातारों ने ज्ञानावरण कर्म के क्षय का निमित्त तो प्राप्त किया ही । वे सब उक्त महान दान के लिए धन्यवाद के पात्र हैं । जिसका विवरण
दातारों का नाम
ग्रन्थ नाम १ श्री. गंगाराम कामचंद दोशी, फलटण
श्रीरत्नकरण्ड श्रावकाचार २ श्री. हिराचंद केवलचंद दोशी, फलटण श्रीसमयसार आत्मख्याति ३ श्री. शिवलाल माणिकचंद कोठारी, बुध श्रीसर्वार्थसिद्धि वचनिका ४ श्री. गुलाबचंद जीवन गांधी, दहिवडी श्रीमूलाचार ५ श्री. जीवराज खुशालचंद गांधी, मुंबई श्रीउत्तरपुराण ६ श्री. चंदुलाल कस्तुरचंद शहा, मुंबई
श्रीअनगारधर्मामृत ७ श्री. पद्मण्णा धरणाप्पा वैद्य, निमगांव
श्रीसागारधर्मामृत ८ श्री. हिराचंद तलकचंद, बारामती
श्रीधवल ९ श्री. बाबूराव भरमाप्पा ऐनापुरे, कुडची श्रीजयधवल उपरोक्त दातारों के उदारतापूर्ण दान के लिए संस्था आभारी है । इनके अलावा संस्था ने पूर्ण खर्च से निम्न ग्रन्थ प्रकाशित किए हैं। १० श्रीकुन्दकुन्दभारती ११ श्रीअष्टपाहुड
) प्रेस में छपाई का १२ श्रीश्रावकाचार संग्रह
) काम चालू है। १३ श्रीआदिपुराण (जिनसेनाचार्य प्रणीत )
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