________________ SHULIONAITARAM श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ इस शताब्दी के एक सत्पुरुष का यह स्मृति ग्रन्थ है। लेकिन केवल स्मृतियों का कोषमात्र नहीं, 'अपितु करुणा परोपकार समता सदाचार और सुसंस्कार-निर्माण के कार्यों का एक जीता जागता। दस्तावेज़ है, यह इसमें एक ऐसे संत पुरुष का गरिमामय जीवन है। जिसने सूर्य की भांति स्वयं प्रकाशमान होकर संसार का अंधकार नाशकरने का प्रयत्न किया। गैसे मानवतावादी संत की गाथा है जिसने अमीर और वारीब को न केवल समान महत्व दिया। किन्तु वारीब, दीन और पतिता समझे जाने वाले व्यक्तियों के जीवन उत्थान में अपना समग्र जीवन रखपा दिया। उच्चवर्ग में सदाचार प्रवर्तन और निम्न वर्ग से सुसंस्कार-निर्माण के लिये,जिसने जीवन की समस्त सुविधाओंका त्याहा कर दिया। उस संत पुरुषका स्मृति-ग्रन्थ आपके हाथ में है। Jain Education International ForPavate Personal Ise Only A www.jainelibrary.org