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________________ श्री जैन दिवाकर. म्मृति- अन्य। जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य :१६८ : ॥श्री नरसिंहजी। ॥श्री रामजी। सही सिद्धश्री महाराज श्री शम्भसिंहजी राजस्थान ठिकाना गुरला वचनातु । श्री जैन सम्प्रदाय के पूज्यजी महाराज साहब श्री चौथमलजी साहब को पधारवो वैशाख सुदि १३ को हुआ व १४ दोई दिन व्याख्यान हआ । जिपर मारी तरफ से त्याग किया जिरी तफसील (१) महाराज साहब श्री चौथमलजी बाईस सम्प्रदाय का पधारे व जावे दोई दिन जीव हिंसा नहीं होगी। (२) श्रावण में शिकार नहीं खेलूंगा और न कहूँगा । कार्तिक वैशाख में भी शिकार नहीं करूगा । हिंसक पशु की बात अलग है। (३) भादवा में पजूषण में जीव नहीं मारेंगे। (४) परस्त्रीगमन के कतई त्याग । (५) बारा महिना में दो बकरा अमरिया कराऊँगा । (६) मैं अपनी जान में तालाब में मच्छी नहीं मारने दंगा। (७) पौष विधि १० व चैत्र सुदि १३ दो दिन जीव हिंसा नहीं करांगा । (८) दशराया के दिन इस साल के लिए एक पाड़ो अमरियो करायो जावेगा। (8) वैशाख श्रावण व कार्तिक में कोई देवी-देवता के पाड़ो बकरो नहीं मरेगा। ऊपर लिखे मुजब अगता रख्या जावेगा । और ये सब सौगन्ध मारे लिए है यानि इमें लिख्या हआ ने निभावणो मारी ही मोजदगी तक है। संवत् १९६६ का वैशाख सुदि १४ । द० शम्भूसिंह बही पाने २२-२३ । मोहर छाप स्वरूप श्री सर्वगुण निधान अनेक औपमा परम पूज्य श्री श्री यारामी मारवाट १००८ श्री श्री जैन दिवाकर प्रसिद्धवक्ता श्री श्री चौथमलजी महाराज mom...mit साहेब की सेवा में अरज १ गाराणसी ठाकर राठोर भीमसिंह शिवदान सीधोतरी मालूम होवे कि आपके व्याख्यान-उपदेश से मैंने अपनी खुम हो हस्बजेल प्रतिज्ञा की है जिसमें मैं और मेरी ओलाद पाबन्द रेवेगा। (१) पौष विदि १० को श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म दिन होने से मेरे पट्टे के गांव में कोई शिकार नहीं होगी और अगता पाला जावेगा। (२) चैत्र सुदि १३ को श्री महावीर भगवान् का जन्म दिवस होने से उपर मुजब अगता रहेगा। (३) मेरे गाँव पजूसणां में शिकार और अगतो बहुत वर्षों से पाले जाते हैं उस मुआफिक ही बदसतुर हमेशा पाले जावेंगे । (४) श्री पूज्यजी महाराज का पधारना मेरे गाँव होगा उस रोज और विहार होगा उस रोज अगता पाला जावेगा। सं० १६६७ रा मिती काती सुद १५ द्वितीया ता० १५-११-४० । (सही) भीमसिंह ठाकुर ठिकाना गारासणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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