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:१४६ : ऐतिहासिक दस्तावेज
श्री जैन दिवाकर-स्मृति- ग्रन्थ
॥ श्री रामजी॥ श्री एकलिंगजी !
जैन सम्प्रदाय के प्रसिद्धवक्ता महा मुनिश्री चौथमलजी महाराज का केरिया में वैशाख शुक्ला ५ पांचम सं० १९८४ में पधारना हआ और ३ तीन दिन तक केरिया में विराज कर उपदेश दिया सो आपरा उपदेश सुनने से गाम को व मुझको बड़ा आनन्द हुआ । क्योंकि ऐसे महा मुनियों का पधा रना बड़े सौभाग्य की बात है। इसलिए उपदेश के सुनने से नीचे लिखे मुजब प्रतिज्ञा की जाती है
(१) वैशाख मइना आधा तो पहिले से ही शिकार खेलना छोड़ रखा है। अब आपका उपदेश सुनने से सम्पूर्ण वैशाख तक केरिया में रहेगा जतरे शिकार कतई नहीं खेलूंगा।
(२) श्राद्ध पक्ष में तीतर पटपड़ खरगोश वगैरा नहीं मारूंगा।
(३) चैत्र शुक्ला १३ तेरस श्री महावीर स्वामी का जन्म व पौष कृष्णा १० दशम श्री पार्श्वनाथजी का जन्म होने से अगता हमेशा रखा जावेगा।
(४) चैत्र शुक्ला ६ नवमी का अगता रखा जावेगा।
(५) श्रीमान् मान्यवर चौथमलजी महाराज का जब केरिया पधारना होवेगा तब अगता रखा जावेगा और वापिस विहार करती वक्त भी रखा जावेगा।
(६) अमावश, पूनम, ग्यारस इन तिथियों का भी अगता रखा जावेगा। (७) भादवा विद १२ से लगाय सुद ५ तक पजूसणा को अगतो हमेशा रखा जावेगा।
नकल इसकी स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराज के सूचनार्थ मेंट की जावे और अगते पालने की हमेशा याद में राखी जावेगा। फक्त सं० १९८४ का वैशाख शुक्लो ६।
-द० गुलाबसिंह केरिया
॥ श्री रामजी ॥ श्री चतुर्भुजजी
नं० १० मोहर छाप
जैन सम्प्रदाय के प्रसिद्धवक्ता श्री चौथमलजी महाराज का पधासाबत
रना वैशाख शुक्ला ७ को निम्बाहेड़े हुआ और ८-६ को व्याख्यान हुए
जिसमें प्रजा को व मुझको आनन्द हआ। नीचे लिखे माफिक प्रतिज्ञा की जाती है
(१) शराब वैशाख में नहीं पीऊंगा।
(२) तीतर, बटेर, हरेल, धनतर ये वैशाख में शिकार नहीं की जावेगी और दूसरे शिकारियों को भी मना कर दिया जावेगा।।
(३) पजूसण में अगते पाले जावेंगे । दुकानदार खटीक लोगों को हिदायत करदी जावेगा। ८ दिन उदेपुर में पलते हैं-वा माफिक ।
(४) चेत शुक्ला १३ महावीर जयंति का व पौष विद १.के भी अगते पलाये जावेंगे ।
(५) चौथमलजी महाराज का कभी पधारना होवेगा तो एक रोज आने का एक रोज जाने का अगता रखाया जावेगा।
(६) ११ के रोज तो पहले शिकार खेलना छोड़ रखा है मगर अमावस्या के रोज भी शिकार खेलना बन्द कर दिया जावेगा। सं० १९८४ का वैशाख शक्लाह
द० जगन्नाथ पंचोली का श्री रावला हुक्मसुं
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