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:१४७ : ऐतिहासिक दस्तावेज
|| श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ ।
॥श्री रामजी ।। ॥श्री एकलिंगजी।।
जैन-सम्प्रदाय के श्रीमान् प्रसिद्धवक्ता स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराज गोगुन्धे पधारे और मनष्य जन्म के लाभान्तर्गत अहिंसा परोपकार क्षमा आदि अनेक विषयों पर हृदयग्राही प्रभावशाली व्याख्यान हुए। जिनके प्रभाव से चित्त द्रवीभूत होकर श्रीमती माजी साहिबा श्री रणावत जी की सम्मति से जिन्होंने कृपा कर दयाभाव से यह भी फरमाया है कि इन प्रतिज्ञाओं की हमेशा, बाद मुनसरमात भी पाबन्दी रखाई जावेगी। निम्नलिखित प्रतिज्ञा की जाती है
(१) तालाब पट्टहाजा में मच्छियाँ आड़ा आदि जीवों का शिकार बिला इजाजत कोई नहीं कर सकेंगे। इसके लिए एक शिलालेख भी तालाब की पाल (पार) पर मुनासिब जगह स्थापित कर दिया जायगा।
(२) छोटे पक्षी चिड़ियाँ वगैरा की शिकार करने की रोक की जावेगी। (३) मोर, कबूतर, फाख्ता, न मारने दिये जायेंगे ।
(४) पर्यषणों में व श्राद्ध-पक्ष में आमतौर पर बकरे आदि बेचने को काटे जाते हैं उनकी रोक की जावेगी।
(५) आपके पधारने व विहार करने के दिन अगता रहेगा।
(६) विशेष पर्व जन्माष्टमी, रामनवमी, मकर संक्रान्ति, वसन्त पंचमी, शिवरात्रि, पौष वदी १० पार्श्वनाथ जयन्ति, चैत्र शुक्ला १३ महावीर जयन्ति और इनके अतिरिक्त हर महीने की ग्यारस, प्रदोष, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन बकरे आदि जानवर आमतौर पर बेचने को नहीं काटने दिये जावेंगे। इनके अलावा ठिकाने में जो-जो मामूली अगते पाले जाते हैं वे भी पलते रहेंगे।
(७) कुम्हार लोग श्रावण और भादवा में अवाड़े नहीं पकावेंगे ।
(८) श्रीयुत स्वामीजी श्री चौथमल जी महाराज के शुभागमन में ग्यारह ११ बकरे इस समय अमरिया कराये जावेंगे।
हु० न० १८०६
नकल इस माफिक लिख श्रीयुत स्वामी जी श्री चौथमलजी महाराज के सूचनार्थ भेजी जावे । और यह परचा सही के बहिड़ा में दरज होवे और इसमें मुत्तला थानेदार, जमादार, हवलदार को कहा जावे और साहेबलालजी को ये भी हिदायत हो कि शिलालेख कारीगर को तलब कर उससे लिखवा कर तालाबों पर पट्ट हाजा में रुपाइ जावे । दर्ज रजिस्टर हो सं० १९८२ का मगसर सु० १३ तारीख १०-१२-२६ ई०
॥श्री॥ नम्बर २८
राजेश्री कचेहरी ठि० नामली । महाराज श्री चौथमलजी की सेवा में
___ आज रोज नामली मुकाम पर जैन-सम्प्रदाय के पूज्य श्री मुन्नालाल जी महाराज की सम्प्रदाय के प्रसिद्धवक्ता मुनि श्री चौथमलजी महाराज के व्याख्यानों का लाभ हमें और प्रजा को मिला। उपदेश सुनकर बड़ी खुशी हांसिल हुई। अतएव मेंटस्वरूप हम हमारे ठिकाने में हुक्म देते हैं कि मिति चैत सुदी १३ भगवान महावीरजी का जन्म दिन है तथा पौष विदी १० भगवान् पार्श्वनाथजी का जन्म दिन है। यह दोनों दिवस हमेशा के लिए अगता याने (पलती) रक्खी जावेगा। फक्त तारीख २४ माहे जनवरी सन् १९३३ सं० १९८६ ।
-मान महिपाल सिंह
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