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:१०७ : वशीकरण मंत्र
|| श्री जैन दिवाकर-स्मृति-न्य ||
एक दिन अचानक वेश्याओं का समूह व्याख्यान में आया और व्याख्यान सुनने लगा, गुरुदेव की वाणी ने वह जादू दिखाया कि अब वेश्याएँ रोज व्याख्यान में आने लगी। कई वेश्याओं ने उस वाणी के प्रभाव से अपना जीवन ही बदल दिया। सदा-सदा के लिए वेश्यावृत्ति को त्यागकर सद्गृहस्थ बन गईं। जोधपुर की इस ऐतिहासिक घटना को अभी काफी नर-नारी याद करते हैं।
ऐसा था गुरुदेव की वाणी का प्रभाव और ऐसे थे वे वाणी के जादूगर ! जिस वाणी ने हजारों बुझते दीपक जला दिये, भटकती आत्माओं को कल्याण-पथ पर अग्रसर कर दिया, उस वाणी देवता गुरुदेव को शत-शत वन्दना !
(१) वशीकरण मंत्र
4 श्री रमेशमुनि 'सिद्धान्ताचार्य' मानव स्वभाव बड़ा विचित्र होता है, पूछिये कैसे ? वह अपने स्वच्छन्द स्वभाव, बहके हुए मन और अनियंत्रित इन्द्रियों पर लगाम लगाने की बात कभी सोचता ही नहीं है। हुई न विचित्र बात?
इससे भी विचित्र बात तो यह है कि वह दूसरों की स्वाधीनता पर नियन्त्रण और अंकुश लगाने के लिए सदैव तैयार रहता है। सत्पुरुषों और शुद्धात्माओं के मन को यह प्रसंग निरन्तर आन्दोलित करता रहता है।
जैन दिवाकर श्री चौथमलजी महाराज का वर्षावास मन्दसौर (म०प०) में चल रहा था, बात आज से ५८ वर्ष पूर्व (सन् १९१८ ई०) की है। कहने की आवश्यकता नहीं, श्रोताओं की भीड़ इस कदर हुई कि-विशाल मण्डप में तिल धरने की जगह नहीं बची। सामायिक चिन्तन चल रहा था इतने में भीड़ को दूर हटाती हुई एक बुढ़िया, जो जैन समाज से सम्बन्धित नहीं थी, महाराज श्री के बिलकुल नजदीक पहुँच गई और कहने लगी
"गुरुजी ! आपके पास हजारों लोग आते हैं, आपकी बात मानते हैं आप जो कहते हैं उसे करने के लिए तैयार रहते है, आखिर इसका कारण क्या है कि-सभी आपके वश में हो जाते हैं ? मुझे भी आप ऐसा वशीकरण मंत्र बता दीजिए, जिससे शान्ति मिले, क्योंकि भगवान का दिया हुआ मेरे पास सब कुछ है, केवल अन्दर की शान्ति नहीं है । सो, आपकी बड़ी कृपा होगी।"
महाराज श्री थोड़े से मुस्कराये और बोले-"माताजी ! अन्दर की शान्ति को ढूंढना बहुत ही अच्छा काम है । इसके लिए सबसे पहले आपको अपने क्रोध पर काबू पाना होगा।"
बात सुन बुढ़िया आश्चर्य में पड़ गई कि-'महाराज श्री कैसे यह बात जान गए किलोग मुझे चिढ़ाते हैं तब क्रोध में आकर मेरे मन में जो भी आता है, गालियों और श्राप की बौछार करती हूँ।'
थोड़ी देर रुककर महाराजश्री ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहना जारी रखा, "और दूसरी बात यह कि-गालियाँ बकना एकदम बन्द कर दो, तुम्हें यदि कोई चिढ़ावे भी तो मौन-धारण कर लिया करो; चिढ़ाने वाला स्वयं ठण्डा पड़ जायगा और आखिरी बात यह है कियदि कोई आपसे बातचीत करे तो उससे प्रेम-पूर्वक मीठे वचन बोला करो, सारी बेचैनी और परेशानी इस वशीकरण मंत्र से जाती रहेगी।"
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