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आचार्यश्री शान्तिसागर महाराज
यह जानकर हरएक धर्मप्रेमीको प्रसन्नता होगी कि जैन समाजके उच्चकोटिके विद्वान् न्यायाचार्य दरबारीलाल कोठियाका समाज अभिनन्दन कर रही है।
उन्होंने सरस्वती और समाजकी अपूर्व सेवा की है । मेरा उन्हें आशीर्वाद है कि वे दीर्घायु हों और जिनवाणीकी तथा समाजकी निरंतर सेवा करनेमें तत्पर रहें। स्वस्तिश्री भट्टारक चारुकीति पण्डिताचार्य स्वामी, जैनमठ, मूडबिद्री
पं० दरबारीलाल कोठिया साहित्यिक महारथी हैं तथा बौद्धिक जैन समाजके लिए शक्तिके स्रोत हैं । उनका जीवन आदर्श जैनीका जीवन है। तथा अपने दुर्लभ गुणोंके कारण वे सर्वसाधारणके स्नेहभाजन बन सके हैं।
कोठियाजीकी जैन वाङ्मयसम्बन्धी सेवाएं वास्तव में अभिनन्दनीय है क्योंकि इन्होंने अपने इस धाराके गुरु स्व० आचार्य जुगलकिशोर मुख्तारकी परम्पराका तन-मन-धनसे निर्वाह किया है । श्री हरिश्चन्द्र भगत, सह अधिष्ठाता, जैन गुरुकूल हस्तिनापुर, मेरठ
___ जैन न्यायशास्त्रके निष्णात विद्वान् डॉ० कोठियाजीसे मेरा परिचय सन् १९५० से है । मुझे उनके साथ बालाश्रम दरियागंज दिल्ली तथा बनारसमें भी एक साथ रहनेका सुअवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने जैन दर्शन, धर्म तथा संस्कृतिके उत्थानमें अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी कारण वीर-निर्वाण-भारती द्वारा उनको २५००) रुपये तथा प्रशस्तिपत्रसे सम्मानित किया गया था। परन्तु उस धनराशिको आपने स्वयं न रखकर अपनी जन्मभमिके देवालयके जीर्णोद्धार हेतु देने की घोषणा की । आप मदुभाषी, सरल तथा मिलनसार व्यक्तित्वके धनी हैं। 'न हि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति' इस सुप्रसिद्ध उक्तिके अनुसार डॉ० कोठियाजीके अभिनन्दन-ग्रन्थ प्रकाशनका कार्य अत्यन्त प्रशंसनीय है।
मैं श्री कोठियाजीके दीर्घजीवी होनेकी जिनेन्द्रदेवसे मंगलकामना करता हूँ कि वे जिनवाणीके प्रसार और प्रचारमें और भी अपना योगदान देकर समाजका उपकार करें। ब्र० दयासिन्धु, अधिष्ठाता, श्रीगुरुदत्त दि० जैन उदासीन आश्रम-ट्रस्ट, द्रोणगिरि
समाजके प्रसिद्ध विद्वान् डा० दरबारीलाल कोठियाके अभिनन्दनके समय उन्हें मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ । वे एक सरस्वतीपुत्र और समाजसेवी विद्वान् हैं । आप सरल, धार्मिक, कर्मठ, धर्मस्नेही, हितैषी, मिष्टवक्ता, यशस्वी लेखक एवं प्रभावक व्यक्तित्वसे सम्पन्न हैं । आपने आधुनिक विद्वत्-श्रेणीमें आशातीत उन्नति कर भारतका मस्तक उन्नत किया है। आपके दीर्घ जीवनके लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ हैं।
(पद्मश्री पण्डिता ब्र०) सुमती बाई शहा, शोलापुर
न्यायाचार्य डॉ० दरबारीलाल कोठिया एक सखोल अभ्यासक तथा महान् विद्वान् हैं । उन्होंने और उनकी पत्नीने जीवनका प्रधान प्रयोजन समाजसेवा ही माना है। वे त्यागी एवं कार्यकुशल हैं । जैन तीर्थक्षेत्र श्रवणबेलगोलामें एक महीने तक उनका सहवास रहा । जैन न्याय समझानेकी उनकी रीति सरल है। त्यागीगणोंको सेवामें वे अग्रेसर हैं। जैन समाजके इने-गिने पंडितोंमें वे एक हैं। उनका कार्य महान है। उनसे इसी प्रकारके कार्यवृद्धिंगत होवें तथा वे दीर्घायु हों इसकी हम कामना करते हैं ।
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