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शु भा शी र्वाद
आचार्यश्री देशभूषण महाराज
आपने मनुष्यजन्म प्राप्त करके अपनी विद्वत्ताके द्वारा जीवोंको विद्या-दान देकर उनको सन्मार्गमें लगाया । ऐसे विद्वान् लोग आजकल पंचमकालमें अत्यन्त दुर्लभ है । आपका सारा समय जिनवाणीकी सेवामें निरन्तर आजतक व्यतीत हआ है । हमारा आशीर्वाद है कि आप अगले भवमें श्रुतकेवली बनें और उसी भवमें संसारका अन्त कर मोक्ष-प्राप्ति करें । जिनेन्द्रदेवसे प्रार्थना है कि आप दीर्धाय हों।
एलाचार्यश्री विद्यानन्द मुनि
जैन न्याय और दर्शनके क्षेत्रमें एक मौलिक व प्रामाणिक लेखक व व्याख्याताके रूपमें डॉ० दरबारीलालजी कोठियाका विशिष्ट स्थान रहा है। उनके महनीय वैदुष्यसे अनेक जैन व जैनेतर संस्थाएँ लाभान्वित रही हैं। वे अपने भावी जीवनमें जैन दर्शन व साहित्यकी सेवा और भी अधिक तत्परता एवं उत्साहसे करते रहें-जैन न्याय, जैन दर्शन और साहित्य के क्षेत्रमें अनेक कीर्तिमान स्थापित करें। उनका स्वास्थ्य निरोग रहें, यही मेरा शुभाशीर्वाद है ।
आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
समता-अरुणिमा बढ़ी, उन्नत शिखरपर चढ़ी।
निज-दृष्टि निजमें गढ़ी, धन्यतम है यह घड़ी ।। आचार्यश्री समन्तभद्र महाराज
ॐ नमः सिद्धम्यः ॥ ॐ आपको म० जीने अनेक शुभाशीर्वाद तथा सद्धर्मवृद्धि कही है।
आपका अभिनन्दन-ग्रन्थ तयार हो रहा है, यह सुनकर म० जीको प्रसन्नता हई । तयार होनेके बाद एक प्रति जरूर भेजें । यहाँ सब आनन्द-मंगल है । आपका भी महाराज चाहते हैं।
आपने श्रुत और धर्मकी सेवा की है। महाराज उसकी प्रशंसा करते हैं। आपका उभय स्वास्थ्य उत्तम रहे, यह महाराज कामना करते हैं और मंगल आशीर्वाद देते हैं । ॐ ।।
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