________________
बाबू हरजसरायजी : एक प्रामाणिक व्यक्तित्व
- गुलाबचन्द जैन
पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के निर्माण में बाबू हरजसरायजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है | श्री सोहनलाल जैन धर्म प्रचारक समिति की स्थापना के उपरान्त इसके कार्यक्षेत्र को विस्तृत रूप देने के लिए आपने कुछ मित्रों की सलाह तथा शतावधानी मुनि श्री रतनचन्दजी म० सा० के आदेश से आपने पं० सुखलालजी से बनारस में सम्पर्क स्थापित किया। पण्डित जी के निर्देशन के आधार पर समिति ने जे नविद्या के विकास एवं प्रचार-प्रसार को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया तथा उन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विद्यानगरी काशी में १९३७ में पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की नींव
। समिति को प्राप्त दान के अतिरिक्त श्री हरजसरायजी ने इस पुण्य कार्य में व्यक्तिगत रूप से काफी आर्थिक सहयोग प्रदान किया ।
बाबू हरजसराजी से मेरा प्रथम परिचय उन्हीं के सुयोग्य भतीजे लाल शादीलालजी के माध्यम से स्व० व्याख्यान वाचस्पति श्री मदनलालजो म० के सान्निध्य में दिल्ली में हुआ था । दिनोंदिन यह सम्बन्ध प्रगाढ़ होता गया, फिर तो उनके साथ पार्श्वनाथ विद्याश्रम के कोषाध्यक्ष के रूप में वर्षां कार्य करना पड़ा। मैंने पाया कि लालाजी स्वभाव से अत्यन्त मृदु, अल्पभाषी और सङ्कोची हैं । किन्तु कर्तव्यनिष्ठा और लगन उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है । आपने समाज सेवा तो को, किन्तु नाम की कोई कामना नहीं रखी, सेवा का ढोल कभी नहीं पीटा। अलिप्त और निष्काम भाव से सेवा करना हो उनके जीवन का मूल मन्त्र रहा है । सामाजिक संस्थाओं में कार्य करते हुए भी आर्थिक मामलों में सदैव सजग और प्रामाणिक रहना उनकी सबसे बड़ी विशेषता है । संस्था का एक कागज भी अपने निजो उपयोग में न आये इसके लिए न केवल स्वयं सजग रहते, बल्कि परिवार के लोगों को भी सावधान रखते । लालाजो केवल विद्याप्रेमी हो नहीं हैं, अपितु स्वयं विद्वान् भी हैं । यह बात सम्भवतः बहुत कम लोग ही जानते हैं कि शतावधानी पं० रतनचन्दजी म० सा० द्वारा निर्मित अर्धमागधी कोष के अंग्रेजी अनुवाद का कार्य स्वयं लालाजी ने किया था ।
यह इन्हीं के परिश्रम का मीठा फल है कि पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान जैनधर्म और जैनविद्या की निर्मल ज्योति फैला रहा है ।
उनकी तपस्विता एवं निष्काम सेवावृत्ति से हम लोगों को सतत् प्रेरणा मिलती रहे ।
दिल्ली
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org