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मेरे गुरुदेव
गुरुदेव स्वयं जैन आगमों एवं अन्य न्याय, सिद्धान्त, दर्शन ग्रंथों का अध्ययन कराते थे। इस सब अध्ययन का फल यह हुआ कि करीब छह सात वर्ष में अनेक ग्रन्थों का अभ्यास करने का मौका मिला। यह अध्ययन काल इतना गौरवणीय है कि आज भी उसकी स्मति हृदय को पुलकित कर देती है। उन दिनों शिक्षण के लिये विशेष रुचि देखी जाती थी और अध्ययन करने वाले पूर्ण मनोयोग पूर्वक तलस्पर्शी ज्ञान प्राप्त करने की रुचि रखते थे। उन दिनों गुरुजनों और विद्वानों की यह भावना रहती थी कि हमारी अपेक्षा यह शिष्य वन्द अधिक विद्वान और निष्णात बने ।
विविध भाषाओं से परिचय
उक्त अध्ययन से मुझे तो लाभ ही लाभ मिला । मातृभाषा मारवाड़ी होने से तथा बाल्यकाल में मराठी शाला में शिक्षण होने से उन्हें सहजरूप में जान सका लेकिन इन संस्कृत और प्राकृत ग्रन्थों के अभ्यास करने से उनका भी ज्ञान हुआ। गुरुदेव का यद्यपि विहार क्षेत्र विशेष रूप से महाराष्ट्र प्रान्त रहा, लेकिन गुजराती बोली का अध्ययन होता रहा । कई गुजराती विद्वान लेखकों की पुस्तकों के पढ़ने का मौका मिला जिससे उसके महत्त्व को जाना । वैराग्यावस्था में उर्दू तथा दीक्षा के बाद पाथर्डी चातुर्मास में फारसी का भी अध्ययन किया । हिन्दी भाषा का शिक्षण तो अध्ययन काल में होता ही रहा। इन सब भाषाओं की जानकारी हो जाने के बाद गुरुदेव ने अंग्रेजी भाषा का ज्ञान करने के लिये आदेश दिया और उसकी भी व्यवस्था हो गई।
उक्त कथन का सारांश यह है कि गुरुदेव शिक्षा के प्रति विशेष ध्यान देते थे और उसमें उद्देश्य यह था कि योग्य अवस्था में डाले गये संस्कार जीवन पर्यन्त लाभदायक होते हैं। उन्हीं की दीर्घदृष्टि का परिणाम यह हुआ कि वे संस्कार आज भी मुझे प्रत्येक समय, परिस्थिति में मार्गदर्शक के समान उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं ।
___ गुरुदेवश्री शिष्य और संत मंडल में शिक्षा प्रसार की भावना के साथ श्रावक वर्ग एवं जन साधारण को भी शिक्षित और संस्कारी बनाने के लिये ध्यान देते थे। जहाँ भी विहार, चातुर्मास होता और उस समय वहाँ जैसी स्थिति होती तदनुरूप स्वयं शिक्षण देते । शाला, पुस्तकालय आदि की व्यवस्था हो भी जाती थी लेकिन कोई शाला चार-छह माह, तो कोई वर्ष, दो वर्ष तक चल कर रह जाती किन्तु पाथर्डी में संस्थापित श्री तिलोक जैन पाठशाला क्रमश: विकासोन्मुखी बनती गई और आज हाईस्कूल के रूप में व्यवस्थित चल रही है। इसकी शाखा के रूप में चिंचौडी और माणिकदौड़ी में एक-एक हाईस्कूल चल रहे हैं।
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