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हार्दिक बधाई
आचार्य सम्राट का अमृत महोत्सव
पूना श्री संघ को हार्दिक बधाई
आचार्य सम्राट ने गत वर्ष श्रावण सुदी १ के दिन ७५वें वर्ष में प्रवेश किया । आचार्य श्री की पवित्र वृत्ति, शांत स्वभाव, सत्र को साथ में लेकर आगे बढ़ने का स्वभाव, ममताभरी दृष्टि आदि गुणों का सभी भक्तों पर सुपरिणाम होना स्वाभाविक है । आचार्य श्री का अमृतमहोत्सव मनाया जाय, यह सभी श्रावक-श्राविकाओं की आन्तरिक तीव्र भावना थी। किन्तु जब भी यह प्रश्न आचार्य श्री के सन्मुख उपस्थित किया जाता, सिवा इन्कार के और कोई जवाब नहीं मिलता। आखिर आचार्य श्री के निकटवर्ती भक्तों ने स्वयं निर्णय ले लिया । आचार्य श्री की सम्मति हो न हो, अमृत महोत्सव मनाना ही है। इस निर्णय ने संघ में बिजली-सी आनन्द लहर फैल गई ।
आचार्य सम्राट अपने शिष्यगण के साथ वर्षावास के लिए बम्बई पधारे । बम्बई संघ ने अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय भी किया था। परन्तु अन्यान्य कारणों से महोत्सव मनाने में कठिनाइयाँ निर्माण हुई और अमृत महोत्सव स्थगित-सा रहा । चातुर्मास के पूर्व से ही पूना श्री संघ का आचार्य सम्राट को आग्रह भरा निमंत्रण था ही; संवत्सरी होते ही पूना से बड़ी भारी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं आचार्य श्री की सेवा में प्रार्थनार्थ पहुँचे। चातुर्मास समाप्ति के बाद पूना की ओर विहार करना आचार्य श्री ने स्वीकृत किया। तब क्या था । पूना श्री संघ का होसला बढ़ गया।
पूना श्री संघ ने अमृत महोत्सव के लिए आचार्य सम्राट के श्री चरणों में प्रार्थना की। किन्तु बड़प्पन की भावना से कोसों दूर रहने वाले आचार्य श्री स्वीकृति कैसे देते? उनका टालमटोल वाला जवाब मिला।
परन्तु पूना श्री संघ ने निर्णय ले लिया कि हो न हो, अमृत महोत्सव पूना में मनाना ही है और वह भी बड़े उत्साह एवं धूम धाम के साथ । पूना श्री संघ के कार्यकर्ताओं में यह भी निश्चय हुआ कि इस महोत्सव का पूरा खर्च सिर्फ पूना से ही हो । इस कार्य के लिए बाहर से चन्दा वसूल नहीं करना है । ये समाचार प्रेस में देते समय तक सुना है, पूना श्री संघ ने
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