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बनारसीदास चतुर्वेदी भूतपूर्व संसद सदस्य
ज्ञानपुर (वाराणसी) आचार्य प्रवर श्री आनन्दऋषिजी के अभिनन्दन-उत्सव तथा अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता मैं हृदय से चाहता हूँ।
शास्त्रीय विषयों पर तो मेरा ज्ञान नगण्य है, इसलिए लेख लेखन में मैं असमर्थ हूँ। __ अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त इन तीनों सिद्धान्तों से संसार का बहुत हित हो सकता है और उनका अधिक से अधिक प्रचार होना चाहिए।
सर्व धर्म समन्वय का कार्य भी महत्त्वपूर्ण है। श्रद्धेय अमर मुनि जी ने उस दिशा में अत्यन्त प्रशंसनीय कार्य किया भी है। __ आजकल जैसा सिद्धान्त, साहित्य जनता के सामने आ रहा है उसकी ओर भी जैन जगत का ध्यान जाना चाहिए।
कृपया आचार्य श्री तक मेरे प्रणाम पहुंचा दीजिए।
डा० गंगाशरण सिन्हा
(भू० पू०) सदस्य, राज्यसभा, नई दिल्ली आचार्य आनन्दऋषि जी को उनके पचहत्तरवें जन्म दिवस पर अभिनन्दन ग्रन्थ अर्पित करने और उनका सम्मान करने का कार्यक्रम जिन सज्जनों ने बनाया है, वे धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने एक उपयोगी, आवश्यक और महत्त्वपूर्ण कार्य अपने हाथ में लिया है।
श्री आनन्दऋषि ने सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र तक ही अपने कार्य को सीमित नहीं रखा है। शिक्षा और जन-मानस के उत्थान और विकास के क्षेत्र में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। साधना के साथ-साथ लोक समन्वय उनके कार्यों और जीवन में हुआ है। दोनों क्षेत्र में उनकी देन है। उन्होंने सार्वजनिक कार्यकर्ताओं और मुमुक्षुओं का मार्ग दर्शन किया है। उनके लिए आदर्श उपस्थित किया है। उनके अभिनन्दन का प्रयास अभिनन्दनीय है । ___ इन शब्दों के साथ मैं आनन्दऋषि जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और यह कामना तथा प्रार्थना करता हूँ कि वह अभी बहुत समय हमारे बीच में जगमग प्रकाश स्तम्भ की तरह बने रहकर मार्गदर्शन करते रहें।
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