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श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन पन्च
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(३९) यथा, राजा तथा प्रजा । राजा के आचरण का अनुसरण प्रजा करती है।
-जे. क. भा. २५, पृ० १६८ (४०) कर्म करते समय बहुत ही सजग-सावधान रहना चाहिए।
-जे. क. भा. २५, पृ० १७१ (४१) हिंसा करने वाला कभी भी सद्गति को नहीं पा सकता।
-जै. क. भा. २५, पृ० १७२ इन कथा-भागों का यह वैशिष्ट्य है कि परम पूज्य श्री पुष्कर मुनि जी ने प्रत्येक कथा का संक्षिप्त कथानक लेखकीय के अन्तर्गत प्रसूत कर दिया है एवं कहानी के मूल स्रोत की भी चर्चा कर दी है। किस कथा के कितने रूपकिन-किन विद्वानों द्वारा रचित हैं-इस तथ्य की ओर भी यहाँ संकेत उपलब्ध हैं। कथा-रचना-शैलियों के विकासक्रम की विविधता में परिचयात्मक प्रस्तुतीकरण में जो रोचक संयोजना पगडंडी के रूप में रखी गई है वही आगे चलकर राजमार्ग के स्वरूप में परिवर्तित हो गई है। पूज्य मुनिवर की यह रचना-प्रक्रिया अनुकरणीय है।
अपने कथन को समर्पित करने में जो उद्धरण कथाओं में दिये गए हैं वे बड़े मार्मिक और अप्रमत्त चिन्तन के प्रमाण हैं। इनका अध्ययन तो कथाओं के पढ़ने से ही संभव है। केवल एक प्रसंग यहाँ उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत है
विक्रम चरित्र के वचन सुनकर राजा कनकसेन ने कहा
हे वीर ! मैं तुम्हें कैसे रोक सकता हूँ, क्योंकि मेहमानों से किसी का घर नहीं बसता ! तुम जैसे पुत्र को पाकर कौन माता अपने को धन्य नहीं कहेगी? तुम अपने कुल के भूषण हो । सुखों में भी जो अपने माता-पिता को न भूले, वही पुत्र कहलाने का अधिकारी है। पुत्र के विषय में विद्वानों ने ठीक ही कहा है कि अपने कुल को पवित्र करने वाला तथा शोक से रक्षा करने वाला ही सच्चा पुत्र है यथा
पुनाति त्रायते चंव कुलं स्वं योऽत्र शोकतः ।
एतत्पुत्रस्य पुत्रत्वं प्रवदन्ति मनीषिणः। -जे. क. भाग २४, पृ० १५५ पूज्य मुनिजी की यह विविध शास्त्र-पारंगत-विलक्षणता आधुनिक युग के कथाकारों के लिए एक प्रकाश स्तम्भ की भांति मार्गदर्शिका कही जायेगी।
भाग
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जैन कथाएं : भाग १ से ३५ तक की तालिका कथा नाम
कथा संख्या धर्मवीर धन्ना सती-सुन्दरी, रलवती-रत्नपाल, महासती अंजना दामनक, हरिबल मच्छी, कामघट कथा, सहस्रमल्ल चोर, रत्नशिखर मणिपति चरित्र इलापुत्र, चिलाती पुत्र, यवराजऋषि, क्षुल्लक मुनि, ललितांग कुमार सुकुमालिका, पुण्डरीक-कुण्डरीक, आचार्य आषाढ़भूति, थावर्चा पुत्र महाबल-मलयासुन्दरी चरित्र महासती मदनरेखा, सती मृगासुन्दरी सती शीलवती, हंसराज-बच्छराज, राजकुमारी सुनन्दा, प्रत्येकबुद्ध करकण्ड, प्र. द्विमुख, प्र० नम्गति, ब्रह्मदत्त चक्री, चक्रवर्ती सगर धनदकुमार समरादित्य केवलीचरित्र जिनदास-सुगुणी चरित्र वीरभाण-उदयभाण, सुरपाल-शीलवती केसरिया-मोदक, हंस-केशव, केशरी, रत्नसार, बंकचूल, मंगल कलश, भीमकुमार, वसुराजा, अरुणदेव, कुलपुत्र महाबल, सुन्दर राजा
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