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तृतीय खण्ड : गुरुदेव को साहित्य धारा
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चम्पकसेठ, अमरसेन-वयरसेन, चन्द्रसेन - चन्द्रावती, नुपुर-पण्डिता प्रद्युम्न चरित्र उत्तमकुमार, सुलसचरित्र .. विद्यासिद्ध बीर अम्बड, विद्याविलास भविष्यदत्त चरित्र, जय-विजय चरित्र सम्यक्त्व से सम्बन्धित १५ कथाएँ यशोधर नृप चरित्र, मणिशेखर सती जसमा ओडण, ऋषिदत्ता, लीलापत-झणकारा विक्रमादित्य की १७ साहस-कथाएँ विक्रमादित्य की २६ नीति एवं धर्म कथाएँ विक्रमादित्य की १८ कौतुक कथाएँ विक्रमादित्य पुत्र-विक्रमचरित्र की ५ कथाएँ श्रीपाल-मैनासुन्दरी चरित्र महेश्वरदत्त चरित्र, अमरकुमार चरित्र अजापुत्र चरित्र, जिनसेन-रामसेन वसन्तर कुमार, भीमसेन हरिसेन, जयसुन्दरी, चन्द्रसेन-लीलावती आदि ५ कथाएं लीलावती चरित्र, पुण्यपाल-गुणसुन्दरी विद्युल्लता, कनकसुन्दरी, सती अनन्तमती, सती पद्मिनी, सम्यक्त्व कौमुदी की ११ कथाएं सहदेव, अंधे परीक्षक, भाविनी कर्म रक्षित, प्रियंकर राजा, देवयश चरित्र तिलोक सुन्दरी, रूपली, मंजुलासती, नटखट और बुद्धिविजय चरित्र कुसुमसेन-कुसुमवती, अरणिकमुनि, अंतुकारी भट्टार रत्नचूड श्रेष्ठी, विजय सेठ-विजया सेठानी, नवलशा हीटजी आदि १२ कथाएं पुण्यसार, मर्मभेद, सागरसेठ, कान्हड़ कठियारा, झांझरिया मुनि, जटिल श्रावक, श्रीपतिसेठ इत्यादि मानतुग मानवती चरित्र
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कथाएं २०१
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श्री पुष्कर-वाणी-0--0-0-0--0-0--0--0-0--------------------------
प्रश्न है-घोड़ा सवार को ले जाता है या सवार घोड़े को ? चिन्तन का उत्तर है-यदि सवार के हाथ में घोड़े की लगाम है तब तो सवार घोड़े को ले जाता है और मनचाहा भ्रमण कराता है, अगर सवार के हाथ में घोड़े की लगाम नहीं है तो फिर घोड़ा ही सवार को ले जा रहा है, और कहीं भी गड्ढे आदि में गिराकर हड्डी-पसली ढीली कर सकता है। जो मन और मस्तिष्क पर । अपना नियन्त्रण रख सकते हैं, वे घोड़े पर सवार के समान हैं, जिनका अपने मन आदि पर नियन्त्रण नहीं है, मानना चाहिए उनकी दशा सवार को घोड़ा ले जाने । जैसी है।
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