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शुभकामना
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प्रिय डा. वा
(
अध्यक्ष : डा. श्रीमन्नारायण
२० )
केदारनाथ साहनी
शिक्षा मण्डल,
आपका १६ नवम्बर का पत्र मिला । धन्यवाद। यह जानकर खुशी हुई कि श्री पुष्कर मुनि महाराज के सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है ।
मैं आशा करता हूँ कि इस ग्रन्थ से हम सभी को आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त हो सकेगी ।
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वर्धा
वर्धा (महाराष्ट्र)
२५ नवम्बर १६७७
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विनम्र (ह०) श्री मन्नारायण
६ ( ५ ) / ७७ / मु. का. १४१/१५१२० मुख्य कार्यकारी पार्षद
दिल्ली प्रशासन दिल्ली, दिनांक २६, नवम्बर १९७७
प्रिय श्री मालवणिया जी
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप अध्यात्मयोगी, उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि महाराज जी की यशस्वी व तेजस्वी साधना के ५४ वर्ष सम्पन्न होने के पावन प्रसंग पर उन्हें महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ समर्पित कर रहे हैं।
हमारा देश यद्यपि भौतिक रूप से पिछड़ा है, तथापि अध्यात्म, संस्कृति और कला की दृष्टि से आज भी संसार में सबसे ऊँचा मस्तिष्क करके खड़ा है। वास्तव में भारत ने आध्यात्मिक सम्पदा को सबसे अधिक महत्त्व दिया है और इस देश में आज भी महापुरुष हैं, जो संसार में आध्यात्मिकता के बहुत ऊँचे स्तर पर पहुँचे हुए हैं। दूसरे देशों में आज भारत की इस आध्यात्मिक निधि का मान सम्मान होने लगा है और वे इसे पहचानने लगे हैं परन्तु यह बड़े खेद की बात है कि अपने देश में हम पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपने जीवन मूल्यों को भूल रहे हैं। ऐसे अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने प्राचीन संस्कृति के रंग में रंगेंगे। तभी हम दूसरे देशों को भी नई राह दिखा सकते हैं। वास्तव में मुनि महाराज जी का सही अभिनन्दन तभी कर पायेंगे ।
मैं आपके प्रयास की सफलता चाहता हूँ
आपका
(ह०) केदारनाथ साहनी
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