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Shadi Lal Jain
S. E. M.
Former Sheriff of Bombay
( २१ )
प्रिय महोदय,
आपका दिनाक २१-११-७७ का पत्र मिला । उसके लिए धन्यवाद । राजस्थान केसरी अध्यात्मयोगी श्री पुष्कर मुनि जी की साधना के ५४ वर्ष पूर्ण होने के हैं। इस पावन प्रसंग पर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित करने का जो निर्णय किया है, वह प्रसंशनीय है।
उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज जैन शासन के उज्ज्वल नक्षत्र हैं । उनका व्यक्तित्व, साधना, संयम और शौर्य से ओत-प्रोत है। मुनि श्री ने अपने साधना काल में लाखों नर-नारियों को धार्मिक प्रेरणा दी है। अनेक बार उनके दर्शन करने और प्रवचन सुनने का मौका मिला है। व्यक्तित्व जितना प्रभावशाली है, आपकी वाणी उतनी ही ओजस्वी एवं भावनापूर्ण है ।
Bombay दि. ६-१२-७७
ऐसे सिंह पुरुष का अभिनन्दन केवल शब्दों से नहीं किया जा सकता। उनका अभिनन्दन तो उनकी वाणी को जीवन में उतार कर ही किया जा सकता है।
मैं इस अभिनन्दन समारोह तथा अभिनन्दन ग्रंथ के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देता हुआ अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ ।
संख्या - ३७६८
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा
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भवदीय (१०) शादीलाल जैन
महर्षि दयानन्द भवन, रामलीला मैदान नई दिल्ली- ११०००२ दिनांक २-१२-७७
मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि यशस्वी, तेजस्वी, अध्यात्मज्ञान के धनी, ध्यान और योग के रहस्य को जानने वाले राजस्थानकेसरी अध्यात्म योगी श्री पुष्कर मुनि जी महाराज का उनके श्रद्धालु भक्तों द्वारा मुनि जी के दीक्षा के ५५वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में एक सार्वजनिक अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट करने का निश्चय किया गया है ।
मुझे आशा है इस अभिनन्दन ग्रन्थ में ऐसी सामग्री प्रचुर मात्रा में होगी जो पाठकों को प्रेरणा देगी और पूज्य पुष्कर मुनि जी के कार्यों में और अधिक प्रेरणादायक रहेगी ।
मैं इस अभिनन्दन समारोह एवं अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता की कामना करता हूँ ।
शुभकामनाओं के साथ,
आपका
(१०) रामगोपाल शालवाले
प्रधान
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