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अभिनन्दन इक्कीसी
कविरत्न चन्दन मुनि (पंजाबी)
: १ :
जैन जगत के, श्रमण संघ जो 暂 तेज
अघहर, धृतिधर मुनिवर "पुष्कर" कहते जिनको सारे ॥
२ :
जीवन में है त्याग, तपस्या, में मुख अमृतवाणी । सन्त आप-सा विरला होगा, ज्ञानी
गहरा
ध्यानी ॥
के सितारे |
: ३ :
यह "नदिशमा" जो सुन्दर है ग्राम "उदयपुर" में। जन्म, वंश ब्राह्मण में लेकर बसे आप उर-उर
-
: ४ : "उगनी सौ सहसठ" का संवत
सारा ग्राम
गूंज
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"आश्विन शुक्ला चौदस" । बधाई द्वारा
उठा था
में ॥
: ५ :
"उगनी सो इक्यासी" का भी
सम्वत
था
ताराचन्द मुनीश्वर जी दीक्षा थी जब
वरबस ॥
सुखदायी ।
से अपनाई ॥
: ६ :
क्या बतलायें बुद्धि तीव्र थी, कैसी अद्भुत गिनती के वर्षों में कर ऊँची परम
ली,
: ७:
कभी पढ़े गुरुमुख से आगम,
प्रथम खण्ड श्रद्धार्थन
अब
आप
श्रमण संघ के एक प्रतिष्ठित, "उपाध्याय"
तपः
: ८ :
राजस्थानी जनता की जब, बिगड़ी दशा "राजस्थान केसरी" पदवी
चुस्त आप सा
विरले
कैसे
न्यारी
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पढ़ाते ।
कहलाते ॥
: ६ :
त्याग वैराग्य हृदय में जिनके हैं संयम कोई
श्रमण
पाई
सुधारी।
पाई ।
: १० :
कोई
थाह गुणों की
गहन
मधुर मृदुल मन ऐसा जैसे,
बालक
पढ़ाई ।।
लहराते ।
आपके,
निभाते ॥
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प्यारी ॥
पाले ।
भोले-भाले ॥
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