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________________ व्यक्तित्व और कृतित्व ] अक्षय अनन्त कहाँ से प्रारम्भ होता है ? शंका- क्या जघन्य अनन्तानन्त राशि (तप्रमाण पदार्थ ) का क्षय हो जाता है ? तथा यह भी बतायें कि अनन्तानन्त के किस भेव से वह अनन्तानन्न अक्षय अनन्तानन्त बनता है ? समाधान - जघन्य अनन्तानन्त राशि का क्षय हो जाता है । भेदों तक सक्षयता है परन्तु मध्यम धनन्तानन्त में जीवादिक छह राशि अनन्तानन्त का क्षय सम्भव नहीं है । [ ६१६ मध्यम अनन्तानन्त के भी कुछ प्रारम्भिक का क्षेपण हो जाने के पश्चात् मध्यम - पत्राचार 17-280/ ज. ला. जैन, भीण्डर उपमा मान शंका- पल्प के असंख्यातवें भाग में करीब कितने वर्ष होते हैं ? समाधान - पल्य के असंख्यातवें भाग में असंख्यात वर्ष होते हैं । ( विशेष के लिए धवल पु० ६ प्रस्तावना पृ० ४ शंका-समाधान सं० ११ देखें । ) Jain Education International सागरोपम के समयों का प्रमाण शंका- क्या एक सागरोपम में अनन्त समय होते हैं, अथवा असंख्यात ? अनन्त तो नहीं होने चाहिए अन्यथा उसे अव्ययत्व प्राप्त होगा ? समाधान - एक सागरोपम में प्रसंख्यात समय होते हैं, घनन्त नहीं। - जै. ग. 8-2-62/VI / मू. च. छ. ला. For Private & Personal Use Only - पत्राचार 17-280 / ज. ला. जंन, पोण्डर www.jainelibrary.org
SR No.012009
Book TitleRatanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
PublisherShivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
Publication Year1989
Total Pages918
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size20 MB
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