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क्तित्व और कृतित्व ]
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अर्थ - बेर आदि की अपेक्षा बेल आदि में बड़ापन है, तीन लोक में व्याप्त महास्कंध सबसे बड़ा है । पुद्गलद्रव्य लोक व्यापक महास्कंधकी अपेक्षा सर्वगत है और शेष पुद्गलों की अपेक्षा असर्वगत है ।
"वुद्गलानामप्यूर्ध्वाधोमध्यलोक विभागरूपपरिणतमहा स्कंधत्व प्राप्तिव्य क्तिशक्तियोगित्वात्तथाविधा सावयवस्वसिद्धिरस्त्येवेति । ( पं० का० गा० ५ टीका )
यहाँ पर महास्कंध को तीनों लोक रूपव्यापी कहा गया है ।
एक वर्गरणा श्रन्य वर्गणारूप से पारणत हो सकती है
शंका- क्या कार्माणवर्गणा आहारवर्गणारूप हो सकती है ? कैसे ? क्या अन्य वर्गणाएँ भी वर्गणान्तरत्व को सम्प्राप्त हो जाती हैं ? स्पष्ट बताइये ? क्या परमाणु निर्जीर्ण हो, यह सम्भव है है ?
- जै. ग. 13-1-72 / VII / र. ला. जन
समाधान --- पुद्गल परमाणु में कर्मपना नहीं है । उसका अन्य परमाणुओं के साथ बन्ध होने पर कर्मवणा बन जाती है; जिसमें अनन्त वर्ग होते हैं । कर्मवर्गणाएं बंधती हैं और कर्म वर्गणाएँ निर्जरा को प्राप्त होती हैं । कर्मवर्गणा में से वर्गों की संख्या घटकर जब आहारवर्गणा की संख्या के समान हो जाती है तो वह आहारवर्गणारूप हो जाती है । किसी भी वर्गणा में परमाणुओं की संख्या हीनाधिक होने पर वह वर्गणा दूसरी वर्गणारूप परिणम जाती है । इसके लिये धवल पु. १४ वर्गणा खण्ड पृ. १२१ सूत्र १०० से पृ. १३५ सूत्र १०५ तक देखना चाहिए ।
- पत्र 20-7-78 / I, II / ज. ला. जैन, भीण्डर
शंका - वर्गणाखण्ड ( ध० पु० १४ ) को देखते हुए क्या सोना चांदी रूप हो सकता है ?
समाधान - सोने के परमाणु स्वर्ण से पृथक् होकर चांदी के स्कन्ध में मिल जाने पर चांदीरूप परिणत
हो सकते हैं ।
- पत्र 13-2-79 / I / ज. ला. जैन, भीण्डर
शरीर
मरण के तीन समय बाद नवीन शरीर ग्रहण
शंका- जब जीव पहिला शरीर छोड़ता है, दूसरा शरीर ग्रहण करता है, कहते हैं सात दिन के बाद तक गर्भ धारण कर सकता है ?
समाधान - पहला शरीर छोड़ने के पश्चात् तीन समय तक अनाहारक रह सकता है। चौथे समय में वह अवश्य नवीन शरीर धारण कर लेगा । कहा भी है- 'एक द्वौत्रीन्वाऽनाहारकः ।' ( मोक्ष शास्त्र अध्याय २ सूत्र ३० ) । पहला शरीर छोड़ने के पश्चात् सात दिन तक जीव नवीन शरीर धारण न करे, ऐसा कहना आगमविरुद्ध है । जो सज्जन पुरुष हैं उनको आगम का कथन प्रमाण होता है ।
- ज. ग. 31-10-63 / IX / क्षु. श्री आदिसागर
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