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पष्ठ संख्या है जिस पर उनके द्वारा प्रेषित शंका का पण्डितजी द्वारा कृत समाधान है। तीन विशिष्ट शंकाकारों का यहां स्मरण कर मैं उनका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ जिनकी चतु: अनयोग सम्बन्धी शंकाएँ सम्पूर्ण ग्रन्थ में अथ से इति तक विकीर्ण हैं । वे हैं
१. सर्व श्री रतनलालजी मैन, एम. कॉम, पंकज टेक्सटाइल्स मेरठ सिटी। आपने पुष्कल अर्थसहयोग भी किया और समय-समय पर आपसे अन्य सहयोग भी प्राप्त हुआ, एतदर्थ आप विशेष धन्यवाद के पात्र हैं ।
२. पं. जवाहरलालजी जैन, सिद्धान्त शास्त्री, भीण्डर ( प्रस्तुत ग्रन्थ के सम्पादक ) ३. श्री रोशनलालजी जैन मित्तल, मेड़ता सिटी
नाम साम्य के कारण या गजट/संदेश में प्रकाशित अपूर्ण सूचना के कारण, सम्भव है कतिपय शंकाएँ इधर-उधर जुड़ गई हों, उसके लिए मैं सुधी शंकाकारों से क्षमायाचना करता हूँ।
इस विशालकाय ग्रंथ को मुद्रित करने वाले श्रीमान् पांचूलालजी जैन, कमल प्रिन्टर्स, मदनगंज-किशनगढ़ को हार्दिक धन्यवाद अर्पित करता हूँ जिन्होंने बड़े धैर्य से इस जटिल कार्य को सम्पन्न किया। यद्यपि ग्रंथ प्रकाशन में विलम्ब हुमा है परन्तु ग्रन्थ का मुद्रण स्वच्छ और शुद्ध हुआ है इसके लिए सभी प्रेस कर्मचारी धन्यवाद के पात्र हैं।
वस्तुतः अपने वर्तमान रूप में 'पं० रतनचन्द मुख्तार : व्यक्तित्व और कृतित्व' ग्रन्थ की जो कुछ उपलब्धि है, वह सब इन्हीं श्रमशील धर्मनिष्ठ पुण्यात्मानों की है । मैं हृदय से सबका अनुगृहीत हूँ। सम्पादन-प्रकाशन में रही कमियों एवं भूलों के लिये सुधीगुणग्राही विद्वानों से सविनय क्षमायाचना करता हूँ।
वसन्त पंचमी १०-२-८९ श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर शास्त्रीनगर, जोधपुर
विनीत: डॉ० चेतनप्रकाश पाटनी
सम्पादक
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