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श्री महावीर प्रेस, वाराणसीके स्वामी श्री बाबूलालजी जैन फागुल्ल भी धन्यवादके पात्र हैं जिन्होंने साजसज्जा और ग्रन्थ-प्रकाशनमें अभतपूर्व सहयोग दिया है। ग्रन्थमें जो त्रुटियाँ रह गयी हैं उनका दोषी मैं स्वयं ही हूँ और सब महानुभावोंसे क्षमाप्रार्थी हूँ।
१९ मार्च, १९७६
कानपुर
हजारीमल बाँठिया
संयोजक श्री अगरचंद नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ
प्रकाशन समिति
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