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________________ और इस तरहसे खाना इनको अवश्य बोमारीका शिकार बना देगा । पर सब हजम । स्वास्थ्य पर भी गुरुदेवकी ऐसी कृपा है कि ६१ वर्षकी उम्र में भी सब कुछ हजम समयका सदुपयोग तो ऐसा देखने में ही आता जहाँ दो मिनट भी समय मिला कि लगे पढ़ने । समयका ऐसा सदुपयोग देखकर मनमें आता है कि कहाँ तो इनका सदुपयोग और कहाँ मेरा दुरुपयोग । मनमें आता है कि इनका फोटो उतरवाकर रखलू और समय-समय पर दर्शन करता रहूँ । इनके सम्बन्धमें कहाँ तक लिखा जाय, जितना लिखूं उतना ही कम है । इन्होंने हमारे समाजका जो गौरव बढ़ाया है वह अकथनीय है । गुरुदेव इन्हें चिरायु करें और वे एक वीर युवाकी तरह माँ सरस्वती की सेवा करते रहें, यही शुभेच्छा है । श्री भँवरलालजी नाहटा श्री ताजमलजी बोथरा करीब ४३-४४ वर्ष हुए होंगे जब मैं अपने गाँव पूनरासरमें रहा करता था । तब मुझे ख्याल आता है कि एक दिन किसी साप्ताहिक अखबारको पढ़ते हुए मैंने एक छोटी सी कविता पढ़ी, जिसमें उसके रचयिता का नाम श्री भंवरलालजी नाहटा लिखा था । यद्यपि उस वक्त मैं उन्हें जानता नहीं था पर उसे देखकर मुझे हर्ष हुआ । उसके एक दो वर्ष पश्चात् ही उनका और मेरा परिचय हो गया और तबसे आज तक वही प्रेम भाव चला आ रहा है। भाई साहब श्री अगरचन्दजीके साथ ही साथ आपके साथ भी प्रेमाधिक होता जा रहा है । आप श्रीमान् अगरचन्दजीके भ्रातृज हैं। आपकी व्यावहारिक शिक्षा भी श्री अगरचन्दजीके समान ही समझिये पर क्षयोपशम तेज होने के कारण ही इतनी उन्नति कर पाये हैं । आप हिन्दी, संस्कृत, गुजराती, प्राकृत एवं बंगला आदि सभी भाषाओंसे अपना काम निकाल लेते हैं और थोड़े बहुत काय की रचना भी कर लेते हैं । आप पुरातत्त्वका भी ज्ञान रखते हैं आप लेखादि भी लिखा करते है । आप लिपिकार बहुत उच्चकोटिके हैं । चाहे आप जितना भी इन्हें लिखने को दे दीजिये लिख डालेंगे | मुझे जब कभी भी किसी प्राचीन, राजस्थानी भाषा आदिके शब्दोंका अर्थ आदि जाननेको आवश्यकता होती है तो मैं सीधा इन्हीं के पास दौड़ा जाता हूँ । गुरुदेव इन्हें दीर्घायु करें और ये पूर्ण स्वस्थ रहकर जैन समाजकी सेवा करते रहें, यही मंगल कामना है । श्री नाहटाजी जैनधर्मके सच्चे सेवक श्री मानचन्द भन्डारी बीकानेर निवासी श्री अगरचन्दजी सा० नाहटा ६१ वे वर्ष में प्रवेश कर रहे है। उसके उपलक्ष में अभिनंदन ग्रन्थ भेंट कार्यका विचार प्रशंसनीय है । श्री नाहटाजीने ऐतिहासिक खोजके साथ जैनधर्मके विषय में जो पुस्तकें लिखी हैं, वास्तव में सराहनीय है । ३६८ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012007
Book TitleNahta Bandhu Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages836
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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