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________________ श्री अगरचंद नाहटा वंश-परम्परा एवं जीवन-चरित्र डॉ० ईश्वरानन्द शर्मा, एम० ए०, पी-एच० डी०, शास्त्री प्रोफेसर, राजकीय डूंगर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीकानेर जयन्तु ते सुकृतिनः, शोधशास्त्राङ्गपारगाः । नास्ति येषां यशःकाये, जरामरणजं भयम् ।। आचार्य श्रीतुलसीके शब्दोंमें श्रीअगरचंद नाहटा "जैन-शासनके बहुश्रुत साधना-शील उपासक हैं", श्री देवेन्द्र मुनि उन्हें ''बहुमुखी प्रतिभाके धनी'२ और श्री मधुकर मुनि 'सरस्वती-समुपासक श्रीमन्त सेठ'3 के नामसे अभिहित करते हैं। परम साध्वी सज्जनश्री जी आर्याको श्री नाहटा जी ने 'आदर्श श्रावक, अथक परिश्रमी साहित्य-सेवी और अध्यात्म साधक व्यक्ति के रूपमें प्रभावित किया है। मुनि जिनविजय" श्री नाहटा जी को 'समव्यसनी' कहते है। श्री श्रीरंजन सूरिदेवके शब्दोंमें श्री नाहटा जी 'शोध पुरुष', श्री देवेन्द्रकुमार जैनके शब्दोंमें 'शोध योगी” और डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्रीके अनुसार 'वाङ्मय पुरुष" हैं। हिन्दी साहित्यके वरेण्य विद्वान् श्री हजारीप्रसाद द्विवेदीने उन्हें 'अवढर दानी', पुरातत्त्व मनीषी श्री वासुदेवशरण अग्रवाल ने 'अतिश्रेष्ठ कर्मठ साहित्यिक',५° इतिहासवेत्ता श्री गौरीशंकर हीराचन्द ओझाने 'खोजके बड़े प्रेमी',११ डा०सत्येन्द्र और श्री नरोत्तमदास स्वामी ने उन्हें 'पुरातत्त्वेतिहास-साहित्यके अन्वेषक विद्वान्' १२के रूपमें देखा है। श्री माताप्रसाद गुप्तके लिए आप अत्यन्त उदार और अतिरिक्त कृपालु हैं । १३ श्री चिम्मनलालजी गोस्वामीने उन्हें 'साहित्य-गगनका दैदीप्यमान नक्षत्र' कहा है, श्री हीरालाल शास्त्री, डॉ० हीरालाल माहेश्वरी, श्री भोगीलाल सांडेसरा, श्री दलसुख मालवणिया, डॉ० जेटली प्रभृति मूर्धन्य सरस्वती समुपासकोंके श्री नाहटा आराध्य एवं श्रद्धेय रहे हैं । १४ कवियोंकी अमर गिराने आपका सहस्रधाराभिषेक किया है। श्री भरत व्यासकी भावावलीमें आप मधुमय सुगंध फैलानेके लिए साहित्यकी अगरबत्तीके समान सतत सक्रिय१५ हैं ! श्री कन्हैयालाल सेठियाने आपके चरणोंमें भावपुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुए स्वर्णधूलि-मरुधराको अपने जन्मसे कृतार्थ करनेवाला बताया है । १६ श्री विमलकुमारकी रागात्मक वाणीमें आप 'ज्ञान-ज्योति दिनकर' और 'कवि शशि' की शब्दावलीमें १. आचार्यजी का शुभ सन्देश, ५ अगस्त, १९७१, लाडन राजस्थान से । २. श्री देवेन्द्र मुनिका संस्मरण । ३. श्री मधुकर मुनिका सन्देश । ४. श्री आर्या सज्जनश्री जी के आशीर्वचन । ५. मनि श्रीजिनविजय जी के पत्र । ६. श्री श्रीरंजन सूरिदेवका आशीर्वाद । ७. श्री देवेन्द्रकुमार जैन के संस्मरण । ८. श्री नेमिचन्द्र शास्त्री का लेख । ९. समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जली, भूमिका, भाग, पृ० १.। १०. बीकानेर जैन लेख संग्रह, प्राक्कथन, पृ० १. । ११ युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि, सम्मति, पृ०६। १२. अगरचन्द नाहटा लेख सूची, प्राक्कथन, पृ० ३ । १३. बीसलदेव रासो, प्रस्तावना, पृ० ३। १४. इसी अभिनन्दन ग्रन्थ का संस्मरण भाग। १५. 'मधमय सुगंध फैलानेको, साहित्य अगरबत्ती जलती' जब तक यह कार्य न हो पूरा, तब तक ये साँस रहे चलती। १६. भेजूं हूँ मैं म्हारै हिरदै री सरधा, चढाऊँ हूँ चरणों में भावां रा फूल । थाँ नै जलम दे'र धिन हई, ईधरती री सोनल धूल । १७. 'ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकरका, अभिनन्दन शत बार है। जीवन परिचय : ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012007
Book TitleNahta Bandhu Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages836
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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