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चालीस हजार मुद्रित ग्रन्थोंका संग्रह उन्होंने अपने मनन और खोजके लिये किया है। यह एक असाधारण एवं गौरवपूर्ण बात है।
जैन पत्रोंमें उनके लेख निकलते रहते हैं, वे मेरे अवलोकनमें आते हैं। उन लेखोंमें उनके विशाल एवं निष्पक्ष हृदयकी पूरी-पूरी झलक दीखती है। श्वेताम्बर धर्मावलंबी होनेपर भी उन्होंने दिगम्बर जैन धर्मके विषयमें कभी कोई बात विरुद्ध नहीं लिखी है। वे समन्वयवादी विद्वान् हैं। इससे उनका व्यक्तित्व वस्तुतत्त्वका परिचायक एवं धार्मिक मूल्यांकनका प्रशंसनीय प्रतीक है।
शोधकर्ताओंके हृदय-सम्राट
नेमिचन्द्र जैन एम. ए. किसी कवि ने कहा हैं :
यदि नित्यमनित्येन निर्मलं मलवाहिना ।
यशःकायेन लभ्येत तन्न लब्धं भवेन्नु किम् ॥ सचमुच सिद्धान्ताचार्य श्री अगरचन्द्रजी नाहटा उक्त सिद्धान्तको अपने जीवनमें उतारनेवाले एक सर्वतोमुखी प्रतिभा सम्पन्न विद्वान् हैं। मृदुभाषी, सौम्य तथा मिलनसार प्रकृतिके नाहटाजी अपने व्यवहारसे प्रत्येक मिलनेवालेको आकर्षित किये बिना नहीं रहते। तत्त्व जिज्ञासु को तत्त्वज्ञान देनेवाले उदीयमान लेखकों को लेखन-कलाका ज्ञान देनेवाले, आलोचनाके क्षेत्रमें प्रयत्नशील को आलोचनात्मक दधि प्रदाता, स्वयं समर्थ लेखक एवं समालोचकके रूपये भारतके नवरत्न श्री अगरचन्द्रजी नाहटाको कौन नहीं जानता है। देश का कोई ऐसा पत्र नहीं, जिसमें उनका निबंध न छपता हो। धार्मिक, सामाजिक. राजनैतिक आलोचनात्मक सभी प्रकारके निबन्धों का एकमात्र लेखन-ज्ञान नाहटाजीके पास विद्यमान है। नाहटाजीको चलता-फिरता पुस्तकालय कहा जाय तो इसमें कोई अत्युक्ति नहीं होगी।
शोधार्थी छात्रोंके लिये तो नाहटाजी कल्पवृक्ष हैं। किसी भी शोधार्थीका उन्हें आभासभर मिलना चाहिये, वे स्वयं पत्रव्यवहारसे उस शोधार्थीसे अपना सम्बन्ध जोड़ लेनेमें सिद्धहस्त हैं। शोधार्थी को शोध की दिशा तथा शोधकार्यके लिये सामग्री प्रदान करना नाहटा जी अपना परम कर्तव्य समझते हैं।
अगर नाहटाजीको नवयुवकोंका सम्राट् कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। नवयुवकोंमें जो उत्साह एवं तत्परता दृष्टिगोचर नहीं होती, वह नाहटाजीमें देखने को मिलती है।
नाहटाजीका अपना एक विशाल पुस्तकालय है जिसमें हजारों हस्तलिखित विविध विषयोंके ग्रन्थ उपलब्ध हैं । जैन कवियों, लेखकों पर कार्य करनेवाला ऐसा कोई शोधार्थी नहीं है, जो नाहटाजीसे उपकृत न हो । विविध संस्थाओंके संस्थापक, कुशल पत्रकार एवं पत्र-सम्पादक, कुशल कार्यकर्ता, समर्थ सलाहकार, जैन समाजके समृद्ध धनिकोंमें एक, अपने प्रेरणास्पद कार्योंसे नवयुवकोंको प्रेरणा प्रदान करनेवाले श्री अगरचन्द्रजी नाहटाको अपनी श्रद्धापूर्ण अञ्जलि समर्पित करता हुआ उनके चिरायु होनेकी कामना करता हूँ।
व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : २०३
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