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गीत डिंगल
श्री रावत सारस्वत भल पाद्य रखी पूरी पिंडलाई, माद्य रखी सिरिमाल जेम । करतब करे कमाई कीरत, नीकी भांत निभाया नेम ॥१॥ मार्च मोह न मिलिया माया, माथापच ही मोह मचै । राचै रंग न रीझ रमा री, सारद री ही सीख जचै ॥२॥ रुलिया रतन न रंच रुखाल्या, ननां पानां जतन किया। हुलसी पोथ्यां हरख हिय में, पुखराजां मुख पीत धिया ॥३॥ गलियो गरब गरथ-भंडारा, ग्रन्थ-भंडारां दरब थियो । मातम तोसाखाना मनियो, पोथीखानां परब कियो ॥४॥ सोध सुब्रण ओखधां सोधे, सोधै लगन जुआ सोध । पुरुखां रै जस करतब री पण, सारा सिरै थाहरी सोध ।।५।। आखै देस कमाई कीरत, 'नाहटा' नाम सुनाम हियो । बीकानेर बसायो बीक, ते पण तीरथ धाम कियो ॥६॥
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श्रद्धा-सुमन : १२५
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