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प्राणिमात्रकी कुछ न कुछ इच्छा होती है और अपनी-अपनी कामना-पूर्ति हो यह सब प्राणी चाहते हैं । सारी प्रवृत्तियाँ किसी न किसी इच्छाकी पूर्तिके लिए होती हैं, चाहे वह अच्छी हो या बुरी ।
-(साधना, साधक और सिद्धि)
१. जीवनके प्रति प्राणिमात्रकी सहज ममता व आकर्षण होनेसे लगाकर वृद्ध तक सभी कथा-कहानी सुननेको उत्सुक दिखाई देते हैं ।
२. व्यक्ति अकेला जन्म लेता है पर जन्म लेनेके साथ-साथ ही वह अपने चारों ओर कुछ व्यक्तियोंको अपने प्रति विशेष आकर्षित पाता है।
३. संसार प्रेममय है। इसीसे जीवन में सरसता आती है और एक दुसरेके सम्बन्ध मीठे होते चले जाते हैं । प्रेमके बिना जीवन सूखा है, रूखा है वह प्रेम अनेक प्रकारका है ।
४. प्राणियोंमें स्त्री और पुरुषका सम्बन्ध एक विशिष्ट आकर्षणका परिणाम है और इस आकर्षणमें बहुत ही जबरदस्त खिंचाव होनेसे इस सम्बन्धको घनिष्ठ प्रेम कहा जाता है ।
५. प्रेम करना सरल है व निभाना कठिन है। (मोगल और महेन्द्रकी प्रेमकथा)
कथा-कहानी मानवके लिए मनोरंजन एवं शिक्षा-प्राप्तिका उल्लेखनीय साधन रहा है।
(तीन सौ पाँच कथाओंकी एक सूची)
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संत और भक्तजनोंके प्रति आदर और श्रद्धाका भाव भारतीय संस्कृतिका एक अभिन्न अंग है।
(परसरामरचित बालणचरित)
१. वाक्-शक्ति मनुष्यको दी हुई प्रकृतिकी विशेष देन है। २. देखनेके पीछे अनुभव करनेकी विशेष शक्ति आवश्यक है और वह केवल मानवको ही प्राप्त है।
३. वस्तुओंका ज्ञान कर लेना एक बात है और अपने अनुभवको सुन्दर एवं साकार रूपमें दूसरोंके समक्ष वाणी द्वारा उपस्थित करना दूसरी बात है । (कतिपय वर्णनात्मक राजस्थानी गद्य-ग्रन्थ)
(१०) १. जैन साहित्यमें नैतिकता और धर्मकी प्रधानता है और शान्त रसकी मुख्यता तो सर्वत्र पायी जाती है।
____२. जैन विद्वानोंका उद्देश्य जन-जीवनमें आध्यात्मिक जागृति फूंकना था। नैतिक और भक्तिपूर्ण जीवन ही उनका चरमलक्ष्य था।
३. तत्वज्ञान सूखा विषय है। साधारण जनताकी वहाँ तक पहुँच नहीं और न उसमें उनकी रुचि व रस हो सकता है । (राजस्थानी जैन साहित्य २)
८६ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रंथ
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