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ग्रन्थको मूलरूप से एक ही भागमें प्रकाशित करनेकी योजना थी, परन्तु अब इसमें २ खंड होंगे। पहले खंडमें श्री नाहटाजीकी जीवनी, संस्मरण आदि हैं। दूसरे खंडमें इतिहास, पुरातत्त्व, साहित्य, धर्म, दर्शन आदि विषयोंके लेख प्रकाशित होंगे । जीवनी और संस्मरणवाले खंडमें कुछ पृष्ठ यद्यपि अधिक हो गये हैं किन्तु श्री नाहटाजी के सम्बन्धमें आये हुए संस्मरणोंको अविकल रूपसे प्रकाशित करना हम आवश्यक समझा है। यदि ऐसा नहीं करते तो भेजनेवालोंकी पुनीत भावनाओं पर आघात पहुँचता ।
गत २-३ वर्ष पूर्व श्री बाँठियाजीके प्रयत्नसे दिल्लीमें मुनि श्री सुशीलकुमारजीके नेतृत्वमें इस सम्बन्धमें समारोहकी योजना बनायी थी । इसके लिए स्व० मोहनसिंह सेंगर आदि कई सज्जनोंने भी सहयोग देनेका आश्वासन दिया था । किन्तु उस समय ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो सका । कागजकी महँगाई आदिके कारण इस पूरे ग्रन्थके छपने में देरीको देखते हुए इसका पहला खंड आपके सम्मुख प्रस्तुत है ।
श्रीमान् नाहटाजीने अति महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, अतएव आपका अभिनन्दन-ग्रन्थ प्रकाशित करते हुए हम सभी स्वयंको गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं ।
रामवल्लभ सोमानी
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