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अभिनन्दन-पुष्प
जी महाराज, जैन दिवाकरजी महाराज आदि सत्पुरुषों की तो आपने साक्षात् सेवा की है और तत्कालीन, अनेक सम्प्रदायों के आचार्यों, प्रधान मुनिराजों का यदा-कदा सम्पर्क पाया है, इन सब प्रसंगों से अनुभवों का जो बेजोड़ खजाना इनकी स्मृति में उपस्थित है वह जैन समाज के इतिहास की धरोहर है, मेरा इनके विद्वान् शिष्यों से आग्रह है किउन मूल्यवान याददास्तों को समय रहते लिपि क्षेत्र से ले आएँ।
मालव रत्न श्री कस्तूर चंद जी महाराज की मैं एक विशेष गुण के लिए बड़ी ख्याति सुनता हूँ, वह है-"सेवा" ।
शासन को समर्पित जीवन का सेवा ही आदर्श होता है। अग्लान भाव से रुग्न, बाल, वृद्ध आदि मुनिराजों की एक रस हो सेवा करना वह विशेषता है, जिसने आज उन्हें मुनि-मन-प्रिय बना दिया है।
शान्त स्वभावी, मिलनसार और प्रसन्नवदन श्री कस्तूरचंद जी महाराज बड़े मधुर भाषी और निभाउ स्वभाव के हैं, यही कारण है कि आज दिवाकर गच्छ इनके अनुशासन को शक्त्या नहीं, भक्त्या स्वीकार करता है।
आज जब मैंने यह सुना कि-उन महापुरुष का सार्वजनिक अभिनन्दन किया जाने वाला है तो मेरा मन पुलकित हो उठा । इसलिए नहीं कि हम उनका अभिनन्दन कर उन्हें ऊँचा उठायें बल्कि खुशी इस बात की हुई कि हम अपने उत्तरदायित्व को कुछ तो समझ पायें। यदि हम ऐसे सुयोग्य अग्रज मुनिराज का अभिनन्दन नहीं करते हैं तो हम एक ऐसा अवसर खोते हैं जो कुछ वर्षों बाद चाह कर भी किसी भी स्थिति में प्राप्त नहीं कर सकते।
___ अभिनन्दन के शुभावसर पर दीर्घ जीवन की मंगलकामना के साथ हार्दिक अभिनन्दन।
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