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मंगलाचरण
(9)
जहा से तिमिरविद्धंसे, उच्चिट्ठ ते दिवायरे । जलते इव तेएण, एवं हवइ बहुस्सुए || (2)
जहा से उडुवई चंदे, नक्खत्तपरिवारिए । पडिपुणे पुण्णमासीए, एवं हवइ बहुस्सुए ||
(३)
जहा से सयंभूरमणे, उदही अक्खओदए । नानारयण पडिपुणे, एवं हवई बहुस्सुए ||
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