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आशीर्वचन
मुझे यह जानकर अत्यधिक आल्हाद हुआ है कि हमारे श्रमण संघ के दो वरिष्ठ श्रमण रत्नों के बहुमानार्थ अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पण करने की योजना बनी है ।
ज्योतिर्विद स्थविररत्न उपाध्याय श्री कस्तूरचन्द जी महाराज ने श्रमण संघ में ज्ञान-साधना और सेवा की जो पवित्र धारा प्रवाहित की है, वह चिरस्मरणीय रहेगी। उनका निर्मल पवित्र मानस सदा सबके लिए मंगलमय बना हुआ है।
प्रवर्तक श्री हीरालाल जी महाराज एक महान् धर्म प्रचारक के रूप में प्रसिद्ध है। देश-प्रदेश में जैनधर्म के शुभ संस्कारों का बीजारोपण करने में उन्हें ऐतिहासिक सफलता मिली है ।
मैं इन दोनों श्रमण रत्नों के सुदीर्घ चारित्र पर्याय की मंगलकामना करता हुआ उनके प्रति बहुमान ज्ञापित करता हूँ और चाहता हूँ
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नाणेण, दंसेणण, चरिण, वड्ढमाणो भवाहि य !
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- आचार्य आनन्द ऋषि
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